“ऑन लाइन शिक्षा कोई शिक्षा नहीं”

Sameer Ur Rehman
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शिक्षा की वर्तमान विकट परिस्थितियों पर गंभीर चर्चा के साथ आज शिक्षा का अलख जगाने वाले अनिल बोर्डिया को उनकी 9वीं पुण्यतिथि पर शिद्दत से याद किया गया। बोर्दिया के साथ काम कर चुकी दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अनीता रामपाल ने शिक्षा के अधिकार के के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान दिया कि “जब करोड़ों लोग ऑफ लाइन हैं तब क्या शिक्षा ऑन लाइन है?”

जूम प्लेटफॉर्म पर ‘दूसरा दशक’ परियोजना द्वारा आयोजित वर्चुअल व्याख्यान में प्रो. रामपाल ने कहा कि ऑन लाइन शिक्षा तो शिक्षा है ही नहीं क्योंकि देश की 20 प्रतिशत आबादी के पास तो इससे जुडने का कोई जरिया ही नहीं है। ऑन लाइन शिक्षा थोपना क्रूरता है। और फिर “सीखने की प्रक्रिया सामाजिक होती है, साझी होती है और सामूहिक होती है…ऑन लाइन शिक्षा का कोई मतलब नहीं है”।

शिक्षा के विभिन्न नवोन्मेषों से जुड़ी रही गणित की प्रोफेसर अनीता रामपाल का कहना था कि ऑन लाइन शिक्षा के जिस मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है वह बच्चों के साथ खिलवाड़ है। इसके जरिए निजी उद्यम सरकार में प्रवेश कर रहे हैं और शिक्षा अरबों रुपयों का उद्योग बन गया है। नव उदारवाद में कॉर्पोरेट के गैर सरकारी संगठन भी बन गए हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा खतरा है। ऑन लाइन का सारा खेल शिक्षा के अधिकार को बाधित करता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा को छोटे दायरे में नहीं देखा जा सकता। शिक्षा खुल कर बोलना और खुलकर सोचना सिखाती है। शिक्षक और विद्यार्थी के बीच लोकतान्त्रिक और समता का रिश्ता होता है। कक्षा का एक माहौल होता है। सामाजिक न्याय होता है। सबको आनंद के साथ शिक्षा देने की व्यवस्था होती है। वहां धीमे और तेज सीखने वालों के बीच भेद नहीं किया जाता। इसलिए शिक्षक का स्थान कोई और नहीं ले सकता।

दूसरा दशक की कार्यकारिणी के अध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने व्याख्यान से पहले स्वागत किया तथा राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष रमेश थानवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर फाउंडेशन फॉर एजुकेशन एण्ड डेवलपमेंट ट्रस्ट के सदस्य राजेन्द्र भाणावत ने भी अपनी बात कही जबकि दूसरा दशक के कार्यवाहक निदेशक राघवेंद्र देव शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/