शनिचरी अमावस्या पर पौधों का सर्वाधिक महत्व होता है- प. बाल किशन शर्मा

liyaquat Ali

 

 

दूनी (हरि शंकर माली) । देवली उपखण्ड के दुनी मे हरियाली शनि अमावश्य धूम धाम से मनाई गई । शनि अमावस्या होने और हरियाली अमावस्या का भी संयोग बना है। यह एक दुर्लभ संयोग है क्योंकि सावन के महीने में शनिवार के दिन हर साल अमावस्या तिथि नहीं लगती है। इस शनि अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण भी लग रहा जो इसके महत्व को कई गुणा बढ़ाया हे जिसके चलते शनि मंदिरो मे भक्तो की भीड़ देखते ही बनी है ।

प. बाल किशन शर्मा ने बताया की हरियाली अमावश्य शनिवार को होने से इसका महत्व ओर भी बड़ जाता है , अमावश्या को लेकर आँवा रोड स्तिथ शनि मंदिर मे शनि महाराज की झांकी सजाई गई ओर मेला भी लगाया गया ।

इस दिन लोगो ने व्रत रखा और शाम को पार्क आदि में उसका पारण किया । ऐसी मान्यता है कि इस दिन पौधे लगाना शुभ होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। इसे श्राद्घ की अमावस्या भी कहते हैं और उससे संबंधित कार्य भी किए जाते हैं। शनिचरी अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा कर उसके फेरे लगाये जाते हैं और मालपुए का भोग भी लगाया जाता है

प. बाल किशन शर्मा ने बताया शनिचरी अमावस्या पर पौधों का सर्वाधिक महत्व होता है, तो इस दिन कुछ विशेष पौधे लगाने से अनेक लाभ हो सकते हैं। वैसे भी वृक्षों में देवताओ का वास माना जाता है। जैसे शास्त्रानुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है, इसीलिए उसकी पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है। मान्यता है कि धन प्राप्ति के लिए इस दिन तुलसी, आंवला, केला, बेल के वृक्ष लगाएं। सौभाग्य के लिए अशोक, अर्जुन, नारियल, बरगद का वृक्ष लगाएं। संतान के लिए पीपल, नीम, बेल, नागकेशर, गुड़हल, अश्वगन्धा लगाएं। सुख समुद्घि और बुद्घि के लिए शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी और तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।

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