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लव कुश वाटिका एवं नेचुरल टूरिज्म से टोंक जिले में पर्यटकों की संख्या में हो रहा इजाफा-मरिय ए शाहीन - Dainik Reporters

लव कुश वाटिका एवं नेचुरल टूरिज्म से टोंक जिले में पर्यटकों की संख्या में हो रहा इजाफा-मरिय ए शाहीन

वन विभाग ने बीसलपुर बांध के आसपास हरी-भरी वादियों में स्थित लव कुश वाटिका का निर्माण किया है

Sameer Ur Rehman
4 Min Read

Tonk News। टोंक जिला प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ पर्यटक स्थल से भी पहचाना जा रहा है। वन विभाग ने बीसलपुर बांध के आसपास हरी-भरी वादियों में स्थित लव कुश वाटिका का निर्माण किया है। यह लव कुश वाटिका बीसलपुर बांध का भ्रमण करने आने वाले पर्यटकों को भी प्रकृति से रूबरू करवाएगी।

राज्य सरकार ने लव कुश वाटिका के निर्माण के लिए एक बड़ा बजट प्रस्तावित किया है। जिसके तहत वाटिका में चारदीवारी व्यूप्वाइंट, झोपड़ियां, पौधों का वनीकरण, ट्यूबवेल पाइप लाइन बिछाना आदि सुविधाओं को विकसित किया गया है।

 

जिला वन मंडल अधिकारी मरिय ए शाहीन ने बताया कि बीसलपुर बांध से कुछ ही दूरी पर थड़ोली में स्थित मिनी गोवा में बांध का विशालकाय पानी है जहां रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

शाहीन ने बताया कि पर्यटक थड़ोली में वन्यजीवों को देखते हैं तो वहीं मिनी गोवा के विशालकाय जल भंडार के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हैं। इस बीच टोडारायसिंह बीसलपुर के घने वृक्षों एवं जंगल में लव कुश वाटिका के तैयार हो जाने के बाद एक और पर्यटकों का डेस्टिनेशन यहां बनने जा रहा है।

वाटिका बन रही आकर्षण का केंद्र

बीसलपुर-टोडारायसिंह मार्ग कंजर्वेशन स्थित लव कुश वाटिका में अलग-अलग घूमने के पथ बनाये गए है। जिसके तहत सांभर हिरण पथ, चीतल पथ मुख्यतया है ताकि आमजन को वन एवं वन्यजीवों के साथ जोड़ा जा सके। वही वाटिका में भूजल स्तर में सुधार करने की दृष्टि से गेबियन बनाये हैं।

गेबियन एक ऐसी संरचना होती है जिसके तहत पानी के वेग को नियंत्रित कर मिटटी के बहाव को रोक कर आसपास के भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

गेबियन के अंतर्गत वाटिका में एक पहाड़ी से प्राकृतिक झरने से पानी आता है जिसे संरक्षित कर वाटिका के रख रखाव में भी उपयोग में लिया जाता है।

पर्यटक हो रहे अभिभूत

मरिय ए शाहीन ने बताया कि स्थानीय निवासियों के अलावा यहां अन्य प्रदेशों के पर्यटक भी प्राकृतिक रोमांच का लुत्फ़ उठाने प्रतिदिन आते है। लव कुश वाटिका बनने के बाद पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है जिससे आस पास के निवासियों को भी रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे है।

इसके साथ ही, यहां आने वाले पर्यटक यहां के अद्भुत प्राकृतिक नज़ारे देखकर अभिभूत है और वन विभाग एवं राज्य सरकार को इस तरह के अकल्पनीय कदम के लिए धन्यवाद दे रहे है।

पौधरोपण में टीओएफआर की विशेष भूमिका

जिला वन मंडल अधिकारी शाहीन ने बताया कि ट्री आउटसाइड फॉरेस्ट इन राजस्थान (टीओएफआर) के तहत वन विभाग ने जिले में अब तक 6 लाख से अधिक पौधे वितरित किये है। साथ ही विभाग लोगों, संस्थाओं और विभागों को ऑनलाइन पौधे भी मुहैया करा रहा है।

पौधों की प्रजाति और कीमत के साथ ही पौध नर्सरी में उसकी उपलब्धता की जानकारी भी ले सकते हैं। उप वन संरक्षक ने बताया कि पौधे प्रजातियों में मुख्यतः नीम, शीशम, रोहिड़ा, चुरैल, सिरस, कनेर, सेंजना, गुलमोहर, करंज, अमरूद, पीपल, बड, पपीता, इमली, खजूर, बोगनवेल, बास, बिल्वपत्र, अर्जुन, अनार, बेर, अमलतास, पेल्टाफार्म, कचनार, गूलर, पलास एवं नींबू आदि उपलब्ध है।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/