जयपुर/ राजस्थान में इस साल चुनावी वर्ष होने के साथ ही प्रदेश के 120 विभागों के करीब 80 हजार से अधिक मंत्रालयिक कर्मचारी पिछले 22 दिन से हड़ताल पर हैं और जयपुर में महापड़ाव को 17 दिन हो चुके हैं मंत्रालय कर्मचारियों की यह हड़ताल सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है।
इसे यूं कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह हड़ताल कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है । राजस्थान में अब तक का इतिहास रहा है कि जब जब भी सरकारी कार्मिकों ने हड़ताल की है वह सरकार है सत्ता से बाहर हुई है ।
प्रदेश में मंत्रालय कर्मचारी पदोन्नति के प्रथम पद वरिष्ठ सहायक की ग्रेड पर 2800 के स्थान पर 3600 करने सहायक प्रशासनिक अधिकारियों की ग्रेड पे 4200 करने तथा अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारियों की ग्रेड पे 4800 करने और स्टेट वैरिटी के आधार पर कनिष्ठ सहायक की ग्रेड पे 3600 की जाए सहित 11 सूत्रीय विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के 120 विभागों के करीब 80000 से अधिक मंत्रालय कर्मचारी पिछले 17 अप्रैल से सामूहिक हड़ताल पर हैं।
कर्मचारियों का आंदोलन वैसे तो 10 अप्रैल से ही शुरू हो गया था और 17 अप्रैल से यह सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल पर चले गए हैं जो हड़ताल आज तक जारी है और जयपुर में कर्मचारियों का महापड़ाव आज 18 दिन भी जारी है कर्मचारियों की इस हड़ताल के कारण सरकारी कामकाज पर काफी प्रभाव पड़ रहा है।
जिससे आम जनता को भी परेशानी उठानी पड़ रही है सरकारी कामकाज के प्रभाव के क्रम में महंगाई राहत शिविर पट्टा वितरण तथा जनता से जुड़े विभिन्न कार्य प्रभावित हो रहे हैं जिससे आमजन परेशान हो रहा है और काम अटके हुए हैं ।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस नीत सरकार सरकार गठन के साथ ही परेशानियों से दो-दो हाथ हो रही है सरकार अपनी ही पार्टी के नेताओं विधायकों और मंत्रियों की बगावत के कारण पिछले साडे 4 साल से लगातार उलझी हुई है।
और उसे ठीक करने का प्रयास कर रही है ऐसी स्थिति में जहां एक और विभिन्न समाज और जातियों द्वारा आरक्षण की मांग और अब ऊपर से किसी भी सरकार की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले मंत्रालय कर्मचारियों द्वारा अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर उतर जाना सरकार के लिए गले की फांस
और चिंता का कारण बना हुआ है और इसका ठोस कारण भी है राजस्थान में इतिहास रहा है कि अब तक जिस जिस भी शासन में मंत्रालय कर्मचारियों सरकारी कर्मचारियों ने हड़ताल की है चुनाव में उस सरकार का सफाया हुआ है ।
जाने इतिहास कर्मचारियों के हड़ताल से कब-कब हुआ सरकारों का सफाया
सबसे पहले सन 1989-90 के दौरान कांग्रेस शासन में हुआ जब दिसंबर 1989 से मार्च 90 के दौरान हरदेव जोशी राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस की सरकार थी इस 91 दिन के जोशी के शासनकाल में 46 दिन आंदोलन रा जो शिक्षकों का अपने वेतन संबंधी और अन्य समस्याओं को लेकर किया गया था और जब संग 1990 में जब चुनाव हुए।
कांग्रेस 113 सीटों से सीधे 50 सीटों पर आ गई और सत्ता से बाहर हो गई और विपक्षी दल भाजपा 39 सीटों से सीधे बढ़त बनाते हुए 85 सीटों पर पहुंच गया और पहली बार राजस्थान में भाजपा की सरकार बनी तथा मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत बने।
जब मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत 1990 में मुख्यमंत्री बने तब राजस्थान में 19 सितंबर से 28 नवंबर तक 71 दिन राजस्थान पथ परिवहन निगम अर्थात रोडवेज कार्मिकों ने है हड़ताल करते हुए चक्का जाम कर दिया और प्रदेश में 71 दिन तक सड़कों पर रोडवेज की बसे नहीं चली लेकिन इसी बीच 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के बाद केंद्र की कांग्रेस शासित सरकार ने राजस्थान मध्य प्रदेश शहीद जहां जहां भाजपा की सरकार थी उनको बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया था ।
सन 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस बहुमत में आई औरअशोक गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने सरकार बनने के 1 साल बाद ही 1999 में मंत्रालय कर्मचारियों और पटवारियों ने अपनी मांगों को लेकर तथा वेतन विसंगतियों के कारण आंदोलन शुरू करते हुए हड़ताल कर दी और इस हड़ताल में महापड़ाव का रूप ले लिया था और 2003 तक कर्मचारियों के नाराजगी हड़ताल आंदोलन का दौर चला और इस दौरान 88 दिन तक पटवारियों ने हड़ताल की 64 दिन तक मंत्रालय कर्मचारियों ने हड़ताल की और 38 दिन तक शिक्षकों ने हड़ताल की । जब 2003 में विधानसभा चुनाव हुए तो कॉन्ग्रेस 56 सीटों पर सिमट गई इससे पहले 1998 के चुनाव में कांग्रेस 156 सीटों के साथ बहुमत में आई थी और 2003 के विधानसभा चुनाव में 56 सीटों पर हम सिमट गई तथा भाजपा ने 87 सीटें की बढ़त के साथ सरकार बनाई और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनी।
2013 मे भी मंत्रालय कर्मचारियों ने ग्रेड पर स्टडी पैरेटी के आधार पर 3600 योग्यता स्नातक सम्मान योग्यता समान भर्ती प्रक्रिया सहित आदि मांगों को लेकर 37 दिन आंदोलन किया था हालांकि बाद में सरकार और कर्मचारियों के बीच समझौता हुआ लेकिन इस आंदोलन का नतीजा यह निकला कि जब 2013 नवंबर में चुनाव हुए कांग्रेस जो 96 सीटों के साथ सरकार में थी वह 21 सीटों पर ही सिमट गई थी और भाजपा की सरकार आई ।
भाजपा के शासन में 2018 में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी उस समय भी 20 सितंबर 2018 से 6 अक्टूबर 2018 तक मंत्रालय कर्मचारियों ने 3600 ग्रेड पे योग्यता स्नातक सचिवालय के समान वेतन भत्ते एवं पदोन्नति के अवसर निदेशालय का गठन आदि मांगों को लेकर महापड़ाव किया था इस दौरान सरकार और मंत्रालय कर्मचारियों में सहमति भी बनी थी लेकिन इसके बाद आचार संहिता लग जाने से कुछ सहमति पर अमल नहीं हो पाया था और नतीजा यह रहा कि 2018 के हुए चुनाव में जिस भाजपा ने 2013 के चुनाव में 163 भारी बहुमत के साथ ही 10 जीतकर सत्ता में काबिज हुई थी वह भाजपा 2018 के चुनाव में 73 सीटों पर ही सिमट कर रह गई।।