जयपुर/(अमन ठठेरा)/ आज के इस दौर में जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक एक स्टेटस सिंबल और फैशन बन गया है और इसकी जद में युवा पीढ़ी सहित हर वर्ग शामिल है ।
लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए एक धीमा जहर है और कितना हानिकारक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में कोल्ड ड्रिंक के कारण हर साल 200000 मौतें होती है तथा भारत में जंक फूड के कारण रोजाना होने वाली मौतों में 17 मुद्दे जंक फूड के सेवन से होती है।
वेड मेरेडिथ की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार 350 एम एल की सॉफ्ट ड्रिंक बोतल में यह सॉफ्ट ड्रिंक कैन में 10 से 12 चम्मच चीनी अर्थात शक्कर गोली होती है।
उधर दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की एक रिपोर्ट बताती है कि दिन में करीब 5 से 6 चम्मच से अधिक शक्कर खाना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
न्यू हावर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एक 2015 में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार करीब 200000 मौतों के लिए ऐसी सॉफ्ट ड्रिंक सीधे तौर पर जिम्मेदार है।
किन देशों की शॉपिंग में कितनी चीनी
ब्रिटेन में मिलने वाली सॉफ्ट ड्रिंक में चार चम्मच चीनी फ्रांस में मिलने वाली शॉप बैंक में चार चम्मच चीनी कनाडा में मिलने वाली सॉफ्ट ड्रिंक में 10 चम्मच चीनी भारत में मिलने वाली सॉफ्ट ड्रिंक में 11 चम्मच चीनी और थाईलैंड में मिलने वाली सॉफ्ट ड्रिंक में 12 चम्मच चीनी होती है।
अब सवाल यह उठता है कि एक छोटी सी बोतल में 10 से 12 चम्मच चीनी मिलाई जाती है तो इसका स्वाद क्यों नहीं आता है जबकि अगर हम सामान्यतया पानी में 12 चम्मच शक्कर मिलाकर पिए तो वह पानी इतना मीठा होता है कि पी नहीं सकते फिर सॉफ्ट ड्रिंक में हमें इतनी चीनी होने के बाद पता क्यों नहीं चलता।
सभी कार्बोनेटड ड्रिंक्स यानी कोल्ड ड्रिंक में फास्फोरिक एसिड मिला होता है जिसके कारण शक्कर की मिठास का पता नहीं चलता और यही कारण है कि कोल्ड ड्रिंक्स थोड़ी मीठी करने के लिए उसमें बहुत अधिक शक्कर मिला नहीं पड़ती है।
बुलबुले वाली सॉफ्ट ड्रिंक जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड मिश्रण होता है यह सब ड्रिंक आंत किडनी लीवर और लंच को सीधे सीधे तौर पर डैमेज अर्थात नुकसान करती है।
इसके अलावा लीवर में सूजन भी मेडिकल भाषा में से हैपेटिक स्टीएटोसिस कहते हैं और यह प्राय शराब अथवा बियर जैसे एल्कोहलिक ड्रिंक्स के सेवन के कारण होती है।
लेकिन कोल्ड ड्रिंक पीने से भी इसका खतरा अधिक रहता है कोल्ड ड्रिंक में पाए जाने वाले एक्स्ट्रा शुगर लीवर की फंक्शनिंग को बिगाड़ देती है और उसके कारण इस में सूजन आ जाती है।
फास्ट फूड व जंक फूड में ट्रांसफेट है धीमा जहर बन सकता है मौत का
जिस तरह एक सादे पानी में कार्बन डाइऑक्साइड मिलाकर कोल्ड ड्रिंक बनाई जाती है ठीक उसी तरह तेल में हाइड्रोजन मिलाने से ट्रांसलेट बनता है ट्रांसलेट वाले तेल में खाना पकाने से खाने की सेल्फ उम्र बढ़ जाती है और यही कारण है कि करीब सभी होटलों रेस्टोरेंट और फास्ट फूड के स्टॉल पर ऐसा ही तेल उपयोग में लाया जाता है ।
यह तेल धुआं बनकर उड़ने की जगह कढ़ाई में ही बना रहता है तथा वहीं दूसरी ओर बार-बार गर्म करने के कारण तेल में ट्रांस फैट बढ़ता जाता है ट्रांसफेट को चिकित्सक धीमा जहर मानते हैं। यह कितना खतरनाक होता है ।
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2023 तक खाने से पेट एसिड को पूरी तरह बाहर करने का लक्ष्य रखा था लेकिन हकीकत में लक्ष्य भी काफी दूर है दुनिया की 800 करोड़ की आबादी में से 500 करोड़ से अधिक लोग ट्रांसलेट की जद में है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में ट्रांसलेट के कारण हर साल 600000 मौतें होती है इनमें से 60000 लोग भारत में मरते हैं।
ट्रांसफेट के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा था कि ट्रांसफेट जहरीला केमिकल है और खाने में इसकी बिल्कुल जगह नहीं होनी चाहिए ।
कैसे जंक व फास्ट फूड बनता है मौत का कारण
जंक फूड व फास्ट फूड में तेल की और मैदा की मात्रा अधिक होती है यह सब मिलकर लीवर को धीरे-धीरे निष्क्रिय कर देते हैं इसके कारण लीवर पर चर्बी की परत जनती चली जाती है और एक समय बाद लीवर काम करने लायक भी नहीं रह जाता है और अंत में मृत्यु शैया पर इंसान पहुंच जाता है।
चिकित्सकों और विशेषज्ञों के अनुसार लीवर का काम हमारे खाए गए खाने को तोड़ना और उसे जरूरी पोषक तत्वों में बदलना होता है जब हम हरी साग सब्जियां और चोकर वाला आटा खाते हैं तो लीवर को उन्हें तोड़ने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है ।
लेकिन मैदा से बने जंग और फास्ट फूड को तोड़ने के लिए व को कुछ नहीं करना पड़ता है इस कारण धीरे-धीरे लीवर काम करना बंद कर देता है और आगे चलकर लीवर कैंसर यानी सिरोसिस का भी रूप ले सकता है।