जयपुर/ राजस्थान में राइट टू हेल्थ दिल को लेकर निजी अस्पतालों के चिकित्सकों का चल रहा विरोध और आंदोलन लगातार जारी है और यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होता जा रहा है और इसी कड़ी में कल प्रदेश भर के सभी सरकारी चिकित्सक भी निजी चिकित्सकों के समर्थन और
इस बिल के विरोध में 1 दिन के सामूहिक हड़ताल पर रहेंगे इससे प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बंद रहेंगे ।
बिल के विरोध में चल रहे इस आंदोलन में कल निजी चिकित्सकों और अस्पतालों के संचालकों के समर्थन में प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों पीएचसी सीएचसी उप स्वास्थ्य केंद्र जिला मुख्यालय के अस्पताल और मेडिकल कॉलेज से
जुड़े अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद रहेगी और करीब 15,000 से अधिक सरकारी चिकित्सक भी एक दिन के सामूहिक हड़ताल पर एक कर कार्य का बहिष्कार करेंगे।
मेडिकल ऑफिसर और पीएसी सीएससी के डॉक्टर्स की यूनियन अखिल भारतीय सेवारत चिकित्सक संघ(अरसिदा) ने पहले ही गुण 30 मार्च को कार्य के बहिष्कार की घोषणा कर रखी थी ।
अब इनके समर्थन में सरकारी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक( शिक्षक)इनमें सीनियर प्रोफेसर प्रोफेसर असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर रैंक के सभी चिकित्सक भी हड़ताल पर रहेंगे।
लेकिन दूसरी ओर आपातकालीन सेवाओं में आने वाले रोगियों और आईसीयू में भर्ती रोगियों का इलाज किया जाएगा दूसरी और प्रदेश में करीब 24 सौ से अधिक निजी बड़े और छोटे हॉस्पिटल संचालित हैं जो पिछले 1 सप्ताह से बंद है और इनके समर्थन में रेजिडेंट डॉक्टर्स भी 1 सप्ताह से हड़ताल पर चल रहे हैं ।
चिकित्सकों के उग्र होते आंदोलन और आम जनता की परेशानी को देखते हुए सरकार अब बड़ा एक्शन उठाने के साथ ही रेस्मा भी लागू कर सकती है ।
सरकार क्या कार्यवाही निजी चिकित्सालय के खिलाफ कर सकती है ।
प्रदेश में चल रहे अधिकांश निजी बड़े चिकित्सालय को सरकार ने रियायती दर पर जमीन आवंटित कर रखी है और उसका आवंटन निरस्त करने का अधिकार आवंटन के दौरान सड़कों में सरकार के पास ही सुरक्षित रहता है कि वह कभी भी इस आवंटन को रद्द कर सकती है और सरकार अब निजी चिकित्सालयों को जिनको जमीन रहे थे दर पर आवंटित कर रखी है उनका आवंटन रद्द करने की तैयारी में जुट गई है ।
देश में चल रहे कहीं बड़े और छोटे निजी अस्पताल नगरीय निकाय नगर पालिका नगर निगम यूआईटी और विकास प्राधिकरण के बिल्डिंग नियमों के तहत निर्माण नहीं किए गए हैं और कई तो ऐसे अस्पताल हैं जिनकी स्वीकृति तक नहीं ली गई है।
ऐसे अस्पतालों को सील किया जा सकता है और सरकार ऐसे अस्पतालों की सूची बना रही है जिनको सीज करने की भी कवायद है।
अस्पताल के नियमों के तहत अस्पताल परिसर में वाहन पार्किंग ऑफ फायर फाइटिंग की सुविधा और इसका प्रमाण पत्र होना जरूरी होता है इनकी सुविधा के बिना अस्पताल को सील किया जा सकता है और सरकार अब ऐसे अस्पतालों की सूची बनाकर उनको भी सील करने की तैयारी कर रही है।
प्रदेश में चल रहे निजी अस्पतालों से नगर पालिका है नगर परिषद नगर निगम बहुत न्यूनतम दर पर नगरीय विकास दर अर्थात यूडी टैक्स वसूल कर रही है सरकार अब चाहे तो इन सभी निजी अस्पतालों से व्यवसायिक रेट के आधार पर कर वसूल कर सकती है जो बहुत बड़ी राशि होती है ।
जिसे देना इन निजी अस्पतालों के संचालकों पर भारी पड़ सकता है सरकार ऐसे अस्पतालों की सूची बनाकर उनसे अब व्यवसायिक दर से नगरीय विकास शुरू कर दी है ।
इसके अलावा प्रदेश में नियमानुसार अस्पतालों के निर्माण के दौरान नक्शा पारित कराकर उसका निर्माण कराया जाता है लेकिन कई निजी अस्पताल ऐसे हैं जो स्वीकृत नक्शे के अनुसार नहीं बना कर अवैध निर्माण किया गया है।
सरकार ऐसे अस्पतालों की भी सूची बनाकर उन अवैध निर्माणों को तोड़ने की कवायद में है।
सरकार कुल मिलाकर अब इन सभी निजी अस्पतालों की कमजोर नस को दबाकर इस राइट टू हेल्थ बिल के पक्ष में कराकर रहेगी और उनके आंदोलन की हवा इस कमजोर नस से निकाल देगी ऐसी संभावनाएं नजर आ रही है