Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the foxiz-core domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/dreports/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the fast-indexing-api domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/dreports/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/dreports/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
राजस्थान में विधायकों के इस्तीफो का मामला- हाईकोर्ट तल्ख, मांगा पूरा रिकार्ड,आदेश जारी

राजस्थान में विधायकों के इस्तीफो का मामला- हाईकोर्ट तल्ख, मांगा पूरा रिकार्ड,आदेश जारी

Dr. CHETAN THATHERA
5 Min Read

जयपुर/ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उसकी सरकार की मुश्किलें थमने का नाम ही नहीं ले रही है और मुसीबतें का सिलसिला जारी है अब हाईकोर्ट में तल्खी दिखाते हुए ।

गहलोत सरकार के 91 विधायकों के इस्तीफे को लेकर सरकार से हलफनामे के साथ विधायकों के इस्तीफे स्पीकर के फैसले और उन पर स्पीकर की टिप्पणी का पूरा रिकॉर्ड पेश करने का आदेश जारी किया है।

राजस्थान में सितंबर माह में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक मंत्रियों और विधायकों ने जिनकी संख्या 91 बताई गई थी ने सामूहिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंपा था और इस मामले को लेकर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा ते हुए इस मामले में याचिका दायर की स्वयं इसकी पैरवी कर रहे थे।

इस मामले को लेकर कल हुई सुनवाई के दौरान उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने न्यायालय में प्रार्थना पेश पर कहा बताया कि पहले 91 विधायकों की ही स्थिति दिया जाना बताया जा रहा था और अब 81 विधायकों के ही इस्तीफे दिए जाना बताया जा रहा है।

ऐसे में विधानसभा सचिव का हाल पनामा जो कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है वह संदेश पद हो जाता है यही नहीं हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं और यह भी नहीं बताया गया है कि किन किन विधायकों ने कब-कब इस्तीफे दिए और

 उन पर विधानसभा अध्यक्ष ने कब और क्या-क्या टिप्पणी की तथा 110 दिन पहले 93 विधायक की स्थिति के संबंध में विधान सभा के अध्यक्ष के निर्देश पर कोई जांच की गई तो उसका क्या परिणाम रहा इससे वह को स्वीकार करने वाले देशों को भी अदालत में रिकॉर्ड में नहीं लाया गया है जो कि रिकॉर्ड में लाया जाए।

तथा जितने समय तक स्थितियों को मंजूर नहीं किया गया उस अवधि में विधायकों को वेतन भत्ते सहित अन्य सुविधाएं लेने का कोई हक नहीं था और इसलिए उनकी यह राशि भी रोक नहीं चाहिए।

इधर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी अदालत में तर्क दिया कि नियमों मे प्रावधान है कि त्यागपत्र को वापस लिया जा सकता है यदि विधायकों ने स्थितियों को वापस दिया है तो इसी आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें नामंजूर किया होगा।

सीजी पंकज मित्तल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का आदेश पेश नहीं किया गया है और विधानसभा सचिव की ओर से पेश किए गए हलफनामे में भी यह जानकारी नहीं थी कि विधानसभा अध्यक्ष के सामने विधायकों ने कब इस्तीफा प्रस्तुत किए।

अभी तक विस्तृत जवाब नहीं दिया जो जवाब दिया गया उसमें भी केवल इस्तीफे को स्वीकार करने की जानकारी दी गई है हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि विधायक कभी इस्तीफा दे रहे हैं कभी वापस ले रहे हैं ।

वह इस संबंध में स्वयं ही तय नहीं कर पा रहे हैं कि वह जनप्रतिनिधि रहेंगे या नहीं ऐसे में वह जनप्रतिनिधि के तौर पर अपना काम कैसे करेंगे और जनता की बात को कैसे सामने रखेंगे ? हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में यह भी कहा कि स्थाई करने के लिए कोई उपाय समय सीमा हो नहीं होना और लंबे समय तक पेंडिंग रखना हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है ।

सीजी पंकज मित्तल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफा पर निर्णय कर लिया है यह सही है लेकिन इसके लिए कोई तय समय सीमा तो होनी चाहिए ऐसा नहीं होना चाहिए कि उन्हें लंबे समय तक लंबित रखा जाएं।

खंडपीठ ने महाधिवक्ता से कहा है कि 30 जनवरी को विधानसभा सचिव के हलफनामे के जरिए नए सिरे से बताएं कि विधायकों ने कब इस्तीफे दिए और विधानसभा अध्यक्ष ने उन पर क्या कार्रवाई की ? तथा विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफा पर की गई।

टिप्पणी या और दस्तावेजों को भी पेश किया जाए और यह भी स्पष्ट किया जाए कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से लिए जाने वाले फैसलों को अनिश्चितकाल के लिए लंबित रख सकते हैं ? तथा वर्तमान प्रकरण के संबंध में यह अवधि कितनी होनी चाहिए ?

Share This Article
Follow:
चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम