Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the foxiz-core domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/dreports/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the fast-indexing-api domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/dreports/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/dreports/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
डाॅ अर्चना का कातिल कौन नेता, पुलिस ,दलाल या. ?

डाॅ अर्चना का कातिल कौन नेता, पुलिस ,दलाल या. ?

Dr. CHETAN THATHERA
9 Min Read

अमन ठठेरा की कलम से

धरती का भगवान कहा जाने वाला आज स्वयं को मौत के घाट उतार रहा हैं। ईश्वर के बाद अगर किसी को जिंदगी देता हैं तो वह डाॅक्टर ही हैं। वाकई यह पेशा धरती का भगवान कहने लायक हैं और हो भी क्यों ना इसका साक्षात उदाहरण विश्व में फैली महामारी कोरोनावायरस संक्रमण के दौर मे उन तमाम डॉक्टर मेडिकल स्टाफ ने इस संपूर्ण आबादी की जान बचाने में अपनी जान की परवाह किए बिना ही रात दिन एक कर दिए और अगर बात की जाए भारत जैसे इतनी बड़ी आबादी वाले देश में “डॉक्टर” शब्द या यूं कहूं इस धरती के भगवान ने जो अपने पेशे के लिए कटिबद्ध होकर अपना कर्म देश के प्रति जो निर्वाह किया वह कभी नही भुलाया जा सकता हैं।

यह तो मात्र “डॉक्टर” शब्द को प्रस्तुत करने का छोटा सा उदाहरण है। लेकिन यह शब्द “डाॅक्टर” आसान नहीं है या यूं कहूं इस पेशे से जुडे लोगों की जिदंगी आसान नहीं होती हैं और उस जगह तो जिंदगी बिल्कुल आसान नहीं हो सकती जहाँ एक बहुत बड़ा वर्ग अशिक्षा और गरीबी का हो । जिंदगी आसान कैसे हो सकती है जहां धरती का भगवान कहे जाने वाले की जरा सी चूक या कोशिश सफल नहीं होने पर मरीज की जान चली जाती है और जब असमझ या मुझे यू कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी की अशिक्षित लोगों के कारण बिना तथा इस देश और समाज मे व्यापत दलालो के कारण या अपनी राजनीति के कारण धरती का भगवान को मुजरिम बना दिया जाता है जो कहां तक उचित है ?

राजस्थान की घटना

हाल ही में राजस्थान में महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा ने मानसिक प्रताड़ित होने के कारण स्वयं को फांसी के फंदे पर लटका लिया है यह घटना दौसा जिले के लालसोट उपखंड मुख्यालय पर स्थित एक निजी चिकित्सालय आनन्द हास्पिटल के संचालक डॉक्टर अर्चना शर्मा (गाइनकालजिस्ट) की है।

घटना के अनुसार लालसोट के कैथून रोड पर डॉ सुमित उपाध्याय और डॉ अर्चना शर्मा उपाध्याय का निजी आनन्द हॉस्पिटल है इसी हॉस्पिटल में सोमवार 28 मार्च को लालसोट के निकटवर्ती हेमावास गांव निवासी आशा देवी बेरवा पत्नी नानूराम बेरवा प्रसूता को प्रसव पीड़ा होने के कारण हॉस्पिटल लेकर आते हैं जहां उनकी हालत गंभीर बताइए जाती है और वहां की डॉ अर्चना शर्मा उपाध्याय गाइनकालजिस्ट जो की एक गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं ने परिजनों की सहमति से प्रसूता आशा देवी बेरवा (सिजेरियन) ऑपरेशन से बच्चा करने की सहमति मिलने पर रात 9 बजे ऑपरेशन किया और डिलीवरी के कुछ समय पश्चात रात 11 बजे अधिक रक्तस्राव से प्रसूता की हालत बिगड़ गई इस पर डॉक्टर अर्चना और उनकी पूरी डॉक्टर टीम ने दो युनिट रक्त आशा को चढाते हुए उसकी जान बचाने की कोशिश लेकिन आशा देवी ने दम तोड़ दिया।

इसकी जानकारी डॉ अर्चना शर्मा ने जब परिजनों को दी तो परिजनों के गले से यह बात निगल नहीं रही थी जब इसकी जानकारी परिजनों ने लालसोट विकास मोर्चा के अध्यक्ष और भाजपा नेताओं को बुलाकर हॉस्पिटल के बाहर शव को रख कर धरने पर बैठ गए और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हॉस्पिटल संचालक दंपत्ति पर मामला दर्ज कर हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त करवाने की मांग की इसी हंगामे को देखते हुए शिक्षित प्रशासन या युँ बोले असमझ प्रशासन ने पीड़ित परिवार की ओर से रिपोर्ट मिलने पर चिकित्सक दंपति खिलाफ 302 में मामला दर्ज कर लिया जबकि कोर्ट के नियमो से धारा 302 मे डॉक्टर के खिलाफ ऐसे मामले मे तत्काल मामला दर्ज नही कर सकते बल्कि धारा 304ए मे पुलिस मामला दर्ज कर सकती थी लेकिन पुलिस ने नियमो के विरूद्ध जाकर 302 मे मामला दर्ज किया क्यो ? पुलिस दबाव मे थी ? या इस घटना के बाद हंगामा कर रहे लोगो मे से शिक्षित वर्ग को डॉ अर्चना द्वारा यह समझाया गया की डिलीवरी के 2 घंटे के पश्चात रक्त रिसाव शुरू हो गया तत्पश्चात ऑपरेशन थिएटर में चिकित्सक द्वारा 2 घंटे के प्रयास और दो यूनिट रक्त दिए जाने के बाद भी रक्त रिसाव जैसे केस में रोगी का बचना मुश्किल सा हो जाता है ।

डिलीवरी के बाद हेमरेज ( डिलीवरी का एक असमान्य काॅम्प्लिकेशन से अधिक खून बह जाता है जो किसी भी प्रसूता महिला को हो सकता है इसमे किसी भी डॉक्टर की कोई लापरवाही नही होती है । डॉ अर्चना शर्मा की इस बात को अशिक्षित वर्ग तो समझ नहीं पाता लेकिन यहां तक शिक्षित वर्ग ने भी उसे मुजरिम के कटघरे में ला खड़ा कर दिया। इस मानसिक प्रताड़ित पीड़ा ने डाॅ अर्चना शर्मा ( गाइनकालजिस्ट ) को सुसाइड करने पर मजबुर कर दिया। यह मानसिक प्रताड़ना अशिक्षित की नहीं थी। यह मानसिक प्रताड़ना वो शिक्षित प्रशासन तंत्र की हैं जो दबाव में आकर केस दर्ज कर लेते हैं ।

यह मानसिक प्रताड़ना उन नेताओं की जो मोर्चा लेकर धरने पर बैठ गए हैं । यह मानसिक प्रताड़ना सूत्रों के अनुसार वायरल हो रही ऑडियो में 50 लाख के मुआवजें को लेकर ब्रेन वाॅश कर रहें कुछ समाज के हानिकारक तत्व की हैं। क्या प्रशासन या शिक्षित वर्ग को डाक्टर की इतनी सी बात समझ नहीं आई की अधिक रक्तरिसाव के बाद चिकित्सक पद्धति में मरीज का बचना मुश्किल हो जाता हैं । डाॅक्टर को प्रताड़ित करने की वजह वाकई मरीज़ की मृत्यु का आघात था या यूं कहुँ कि मरीज़ की मृत्यु के पश्चात मिलने वाली मुँह मांगी रकम थी ? देश में यह कोई पहला मामला नहीं हैं जहाँ डाॅक्टर द्वारा 100 प्रतिशत कोशिश के पश्चात भी मरीज़ की मृत्यु के पश्चात डॉक्टरो पर प्रताडित और हिसांत्मक रवैया अपनाया जाता हैं ।

इन मामलों की संख्या ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। एकतरफ देश जहा महामारी के पश्चात मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में तरक्की कर रहा हैं तो वहीं धरती के भगवान कहें जाने वाले डाॅक्टरों को दिन प्रतिदिन प्रताड़ना और हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है। क्या यह मेडिकल क्षेत्र के लिए के लिए एक अभिशाप नहीं हैं ? राजनितिक गलियारों में डाॅक्टरों की रक्षा के हित को लेकर उनके अधिकारों , मेडिकल प्रोटोकोल कें विषय को लेकर मसौदा तैयार करने की जरूरत के साथ साथ आम जनता को अवगत कराना भी उतना ही जरूरी हैं। अर्चना द्वारा लिखा सुसाइड नोट में डाॅक्टर को प्रताड़ित करना बंद करें और मेरी मरना मेरी बेगुनाही साबित कर दें जैसी महत्वपूर्ण पंक्तियां क्या वाकई गहलोत सरकार इसको गंभीरता से लेगी ।

दौसा जिले और उपखंड मुख्यालय के प्रशासन में से अर्चना का कातिल कौन हैं नेता, पुलिस, दलाल या ? यह सवाल खडे है ।

गहलोत सरकार ने प्रदेश भर मे इस घटना के बाद विरोध मे उतरे सरकारी व निजी चिकित्सको के शांतिपूर्ण आन्दोलन के का कारण दबाव मे दौसा एस पी और लालसोट डिप्टी एस पी को एपीओ कर दिया तथा थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया है तथा भाजपा नेता जितेन्द्र गोठवाल को गिरफ्तार किया जरूर है लेकिन क्या इनके खिलाफ डॉक्टर अर्चना शर्मा को आत्महत्या के लिए विवश करने का मामला दर्ज होगा ? अभी तक तो मामला दर्ज नही किया ? या फिर यह सब करके ठंडे झींटे डाल इतिश्री कर ली जाएगी ? भविष्य मे ऐसी घटना धरती के आधुनिक भगवान माने जाने वाले डॉक्टरो के साथ ऐसा नही होगा। क्या इस दिशा मे सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी ?

TAGGED:
Share This Article
Follow:
चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम