Tonk/दूनी -(रिपोर्ट हरिशंकर माली)। राजस्थान (Rajasthan)के कृषि नवाचारों(Agricultural innovations) में पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी(Former Agriculture Minister Prabhulal Saini) की भूमिका सदैव रही है। वे चाहे सत्ता में हो या नही पर कृषि के क्षेत्र में वे सदैव नवाचार कर प्रगतिशील किसानों (Progressive farmers)के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे है।
पहले भी वे गांव आवां स्थित अपने फार्म में पिंडखजूर (Dates), जैतून(olives) , नारियल(coconut) जैसी खेतीकर नायाब नमूना पेश कर चुके है। पथरीली जमीन में ओर जलवायु से अनुकूल ये नवाचार वाकई किसानों के लिए आय बढ़ाने वाले भी है तो इनका प्रयोग करने वाले लोगों के लिए बेहद स्वास्थ्यवर्धक भी है।
दरअसल इसका नवाचार पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट(National Agri Food Biotechnology Institute) की ओर से किया गया था, जिसका पेटेंट भी कराया गया। इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी ने राजस्थान में आंवा से की है।
यूं तो काले गेंहू की खेती पंजाब में होती है। लेकिन राजस्थान में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। आवां में ये फसल परवान पर है। पूर्व कृषि मंत्री सैनी ने बताया कि काला गेंहू(Black wheat) मूलतः जापानी गेंहू के साथ ब्रीडिंग कर बनाया गया है। इसमें कोई जेनेटिक छेड़छाड़ नही की गई है। इसका बीज करीब 150 रुपये प्रति किलो के भाव से उपलब्ध होता है।
जबकि फसल का बाजार भाव 4 हजार से 6 हजार रुपये क्विंटल है। प्रगतिशील किसान इस फसल की बुवाई से अच्छी आय अर्जित कर सकते है। उन्होंने बताया कि काले गेंहू में एंथोसायनिन पिगमेंट की मात्रा 100 से 200 पीपीएम होती है।
जबकि साधारण गेंहू में ये मात्रा 5 से 15 पीपीएम तक होती है।काले गेंहू में बड़ी मात्रा में प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स, स्टार्च, जिंक की मात्रा भी है, जो रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करता है।
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