एक सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना ने दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए एक अनूठी पहल की शुरूआत कर एक मिसाल पेश की समाज में

Firoz Usmani
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अलीगढ़/उनियारा,(शिवराज मीना)। हर साल दहेज के बोझ के कारण कई नवविवाहिताओं व उनके परिजनों को दहेज के कर्जे तले आकर डूब में अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। जिसके चलते दहेज प्रथा से जुडे कई जिते जागते उदाहरण क्षेेत्र में आये दिन देखने को भी मिलते आ रहे है।
ऐसे वक्त में बून्दी जिले के खजूरी पंचायत के पीपरवाला गांव के रहने वाले सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना ने दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए एक अनूठी पहल की शुरूआत कर अपने बेटे की सगाई में दी गई 11 लाख रूपये की राशि उनियारा तहसील क्षेत्र के सोलतपुरा गांव के वधु पक्ष को वापस लौटाकर समाज व आमजन में एक मिसाल पेश की है। सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना ने अपने बेटे रामधन मीना की सगाई की रस्म में दहेज को नकारते हुए दुल्हन पक्ष से शगुन के तौर पर गीता ग्रन्थ पुस्तिका और एक रूपया लिया है।
जानकारी में आपको बता दें कि मीना (मीणा) समाज में लाखों रूपए लेकर सगाई शादी करने की परम्परा लगातार चली आ रही है। लेकिन सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना ने अपने बेटे की सगाई की रस्म में दहेज को पूर्ण रूप से नकार दिया गया। उनके बेटे रामधन मीना की शादी टोंक जिले में उनियारा तहसील क्षेत्र के मण्डावरा पंचायत अन्तर्गत सोलतपुरा गांव निवासी आरती मीणा के साथ होने जा रही है। जिसके लिए सगाई की रस्म के दौरान दुल्हन पक्ष काफी उपहार देने के लिए लाया था। लेकिन लड़के के पिता बृजमोहन मीना (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य) ने दुल्हन पक्ष से 11 लाख रूपये की दहेज राशि को नकार कर शगुन के तौर पर महज एक सौ एक रूपया और धार्मिक ग्रंथ गीता जी को लेकर सगाई की रस्म को पूरा किया।

 नकारा दहेज प्रथा की सामाजिक बुराई को, समाज को दिया सकारात्मक सन्देश 

मीडिया से बातचीत में वर पक्ष से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना ने कहा कि मीणा (मीना) समाज में बेटे रामधन की शादी के निभाई जाने वाली सगाई रस्म में लाखों रूपये नगद और महंगी कारों के साथ सोने-चांदी के भारी जेवर आदि देने की परम्परा चली आ रही है, जो एक सामाजिक बुराई है। जिसके कारण गरीब पिता अपनी बेटी के हाथ पीले नहीं कर पाता है। इसलिये समाज में दहेज जैसी सामाजिक कुप्रथा को समाप्त करने पर बल दिया जाना आवश्यक है।

पहल की हो रही प्रशंसा 

सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना के द्वारा अपने बेटे की सगाई में दहेज को नकार कर इस अनुकरणीय पहल की टोंक, बून्दी, सवाई माधोपुर आदि जिलों में काफी प्रशंसा हो रही है। मीना समाज के लोगों का मानना है कि दहेज के खिलाफ इस तरह की पहले की अपेक्षा अब समाज की मानसिकता में भी धीरे-धीरे बदलाव होने लगा है। बून्दी जिले के खजूरी पंचायत के पीपरवाला गांव निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीणा ने अपने पुत्र की सगाई के कार्यक्रम के दौरान वधु पक्ष द्वारा दी गई 11 लाख 101 रुपए व धार्मिक ग्रंथ गीता जी पुस्तिका दी गई थी। जिसमें वर पक्ष द्वारा 11 लाख की राशि वापस लौटा कर दहेज प्रथा के खिलाफ एक नई आवाज उठाते हुए समाज को नया संदेश देने का नया मामला सामने आया है। जानकारी अनुसार सोमवार को पीपरवाला निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीणा अपने पुत्र रामधन मीणा की सगाई के कार्यक्रम में टोंक जिले के उनियारा तहसील में स्थित मण्डावरा ग्राम पंचायत के सोलतपुरा गांव में पहुंचे थे।
जहां पर दुल्हन आरती मीणा के साथ सगाई का कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम के दौरान वधू पक्ष की तरफ से समाज की परम्परा एवं रीति-नीति के तहत वर पक्ष को दहेज दिया जाता है। जिसमें वधू पक्ष द्वारा वर पक्ष को 11 लाख 101 रुपए व धार्मिक ग्रंथ गीता जी दी गई थी। सगाई रस्म में दहेज स्वरूप दी गई राशि में केवल वर पक्ष के ब्रजमोहन मीणा द्वारा केवल 101 रुपए के साथ  गीता जी ग्रन्थ ही प्राप्त की और 11 लाख रूपये की दी गई नगद राशि वधू पक्ष को वापस लौटा कर समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की सामाजिक कुरूति के खिलाफ नया संदेश दिया गया।
इस दौरान मौजूद समाज के पंचों में दुल्हन पक्ष के पिता राधेश्याम, दादा पूर्व सरपंच प्रभुलाल मीणा, रामअवतार पूर्व सरपंच, सेवानिवृत प्रधानाचार्य कन्हैयालाल मीणा मानी, शिवजीराम मीणा खजूरी ने उक्त कदम की भूरी-भूरी सराहना की और समाज को नई प्रेरणा लेने की सीख दी गई।

 गीता जी से दिया धार्मिक संदेश

सगाई के कार्यक्रम में वधू पक्ष द्वारा वर पक्ष को धार्मिक ग्रन्थ गीता जी देकर समाज को धार्मिक भावना से जोड़ने के साथ ही गीता के सार के मुताबिक इससे प्रेरणा लेने की सीख दी, ताकि समाज दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाए एवं दहेज की ऐसी कृति को त्याग करके शिक्षा के प्रति जागृति को बढावा मिले।

बीएससी उतीर्ण वधु आरती मीना भी है दहेज प्रथा के खिलाफ, यह कहा अपने सन्देश में

सोलतपुरा निवासी वधु आरती मीना ने कहा है कि मैं बीएससी उत्तीर्ण कर बीएड कर रही हूं। मैं दहेज प्रथा के सख्त खिलाफ हूं। मेरे ससुर द्वारा दहेज में दी गई राशि को लौटा कर समाज को नई प्रेरणा दी गई है, जिससे बालिकाओं को उनकी योग्यता के अनुसार वर चुनने का मौका मिल सकता है। मेरे ससुर ब्रजमोहन मीणा (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य) द्वारा दहेज में दी गई राशि लौटाकर हमारे परिवार के साथ ही टोंक, बूंदी व सवाई माधोपुर आदि जिलों में अनुकरणीय पहल का साथ पहला मामला देखने को मिला है। जिन्होंने इतना बड़ी दहेज राशि को ठुकरा कर समाज को नई प्रेरणा दी है।
वहीं वर पक्ष से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना, दूल्हे के पिता ने कहा है कि मेरे बियाई सोलतपुरा निवासी प्रभुलाल मीणा (पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत मण्डावरा) वधु के दादाजी ने मेरे पुत्र की सगाई के कार्यक्रम में वधू पक्ष द्वारा मेरे बेटे की सगाई रस्म में 11 लाख रूपये की दहेज राशि दी गई थी, जो समाज में ठीक नहीं है, समाज को दहेज की कुप्रथा को त्यागने की सख्त जरूरत है। वहीं कन्हैयालाल मीणा, शिवजीराम मीणा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य का कहना है कि बृजमोहन मीणा द्वारा सगाई के कार्यक्रम में दहेज रूपी दी गई धनराशि को लौटाकर समाज को नई प्रेरणा दी है, जिसे आज समाज को अपनाने की जरूरत है।

 सेवानिवृत्त शिक्षक ने उठाई दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज 

सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीना ने अपने पुत्र की सगाई में वधु पक्ष द्वारा दी गई 11 लाख रूपये की धनराशि को लौटाकर मीना समाज को एक नया सन्देश दिया है।

दहेज राशि को नकारने की अनुकरणीय पहल की हो रही प्रशंसा

बृजमोहन मीना के इस पहल की टोंक और बूंदी जिले में काफी प्रशंसा हो रही है। मीना समाज के लोगों का मानना है कि दहेज के खिलाफ इस तरह की पहले से समाज की मानसिकता में भी धीरे-धीरे बदलाव हो सकता है। सगाई में नकदी की बजाय गीता देकर समाज को धार्मिक भावना से जोड़ने का प्रयास वधु-वर पक्ष द्वारा किया गया है।
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Firoz Usmani Tonk : परिचय- पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षो से संवाददाता के रूप में कार्यरत हुंॅ, 9 साल से राजस्थान पत्रिका ग्रुप के सांयकालीन संस्करण (न्यूज़ टुडे) में जिला संवाददाता के रूप से कार्य कर रहा हंू। राजस्थान पत्रिका न्यूज़ चैनल में भी अपनी सेवाएं देता रहा हूं। एवन न्यूज चैनल में भी संवाददाता के रूप में कार्य किया है। अपने पिता स्व. श्री मुश्ताक उस्मानी के सानिध्य में पत्रकारिता की क्षीणता के गुण सीखें। मेरे पिता स्व.श्री मुश्ताक उस्मानी ने भी 40 वर्षो तक पत्रकारिता के क्षैत्र में कार्य किया है। देश के कई बड़े न्यूज़ पेपर से जुड़े रहे। 10 वर्ष दैनिक भास्कर में ब्यूरों चीफ रहें।