Jaipur News। संयुक्त अभिभावक संघ ने निजी स्कूल संचालकों पर डराने-धमकाने कर फीस वसूलने के आरोप के साथ कहा कि संचालक केवल अपनी हठधर्मिता का प्रदर्शन कर लोगों को बरगला रहे है। शिक्षकों को सैलरी का डर दिखाकर निजी स्कूल संचालक उनका इस्तेमाल धरने-प्रदर्शनों में भीड़ दिखाने के लिए कर रहे है। जिस बकाया आरटीआई पैसों की ये लोग मांग कर रहे है पिछले तीन साल से कहा सोये हुए थे जो अब इस आपदा में जाग गए। जबकि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 9394 से अधिक निजी स्कूल संचालकों ने आरटीई की गाइडलाइन के तहत गरीब बच्चों को स्कूलों में दाखिला तक नहीं दिया तो जबकि हकीकत में यह संख्या 12 हजार से अधिक है, अगर सरकार आरटीई के तहत कार्रवाई करती है तो इन निजी स्कूल संचालकों की पोल खुलकर सामने आ जायेगी। ऐसी स्थिति में स्कूल संचालक कैसे सरकार से आरटीई फंड की मांग कर रहे है। राज्य सरकार से एक अपील है कि जिन स्कूल संचालकों ने आरटीई गाइडलाइन को फॉलो किया है उन स्कूल संचालकों को फंड रिलीज कर इस विकट स्थिति में राहत प्रदान करे।
संयुक्त अभिभावक संघ प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू एवं संगठन मंत्री चन्द्रमोहन गुप्ता ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि निजी स्कूल संचालक केवल हठधर्मिता का परिचय दे रहे है, यह लोग इस कोरोना महामारी में “आपदा को अवसर” की तरह इस्तेमाल कर प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक अभिभावकों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर, उन्हें जबर्दस्ती जिल्लत झेलने पर मजबूर कर रहे है। आज भी स्थिति ऐसी है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने फीस वसूली पर अभी तक कोई निर्णय नही दिए है। 7 सितम्बर के एकलपीठ के आदेश पर भी डिवीजन बैंच ने रोक लगा रखी है उसके बावजूद स्कूल संचालक शिक्षकों के माध्यम अभिभावकों को प्रलोभन दे रहे है, धमकियां दे रहे है, अभिभावकों को डरा रहे है। इन सब बातों की शिकायत करने के बावजूद ना शिक्षा विभाग कार्यवाही कर रहा है और ना ही राज्य सरकार। मंत्रियों और अधिकारियों को शिकायत की जाती है तो कहते है शिकायत आएगी तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। ऐसी स्थिति में आखिरकार अभिभावक जाए तो जाए कहा।
उन्होंने मांग की कि सरकार को निजी स्कूल संचालकों की प्रत्येक वर्ष ऑडिट करवाने व सार्वजनिक करने के आदेश देने चाहिए। जिससे निजी स्कूल संचालकों की वास्तविकता की जानकारी सभी अभिभावकों को प्राप्त होती रहे।