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अंधेरे में डूबी है ऐतिहासिक रसिया की टेकरी कुछ दिनों ही जलीं थी लाइटें- बरसों से बत्तियां गुल - Dainik Reporters

अंधेरे में डूबी है ऐतिहासिक रसिया की टेकरी कुछ दिनों ही जलीं थी लाइटें- बरसों से बत्तियां गुल

Dr. CHETAN THATHERA
3 Min Read


Tonk news (भावनाबुन्देल) बरसों से टोंक की पहचान बनी रसिया की टेकरी इन दिनों अंधेरे में डूबी हुई है। कुछ साल पहले लाखों रूपए खर्च करके इसकी मरम्मत और लाईट फिटिंग का काम करवाया गया था। रख रखाव व मॉनिटरिंग के अभाव में दोबारा यह ऐतिहासिक धरोहर अंधेरे में डूबी हुई नजर आ रही है। कुछ माह तक रसिया की टेकरी दूधिया रंग में चमकती नजर आने लगी थी किन्तु सार संभाल के अभाव में पुन: इसकी दुर्गति होती हुई दिखाई दे रही है। असामाजिक तत्व तमाम केबल, बिजली के उपकरण और एलईडी- ट्यूबलाईट वगैरह उखाड़कर ले जा चुके हैं। बारूदखाने के पास पहाड़ पर बनी ऐतिहासिक टेकरी से कई ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हुए हैं। स्थानीय इतिहासकारों ने भी इस टेकरी के बारे में विस्तार से लिखा है।


रोशन अतीत की यादगार सनद


इतिहासकारों के मुताबिक रसिक पंडित को अंबा जी महाराज होल्कर ने अपना राज्यपाल नियुक्त किया था। तथ्यों के अनुसार उन्होंने ही इस टेकरी की मरम्मत 1859 विक्रम संवत में कराई। किवदंतियों के अनुसार एक बार आकाशीय बिजली गिरने से टेकरी क्षतिग्रस्त हो गई थी। लोग बताते हैं कि किसी जमाने में रसिक बिहारी लाल कायस्थ नामक व्यक्ति भी अपनी प्रेमिका के दीदार के लिए इस छतरी पर बैठा रहता था और प्रेम के वशीभूत होकर गीत गाता था। कदाचित इसी वजह से इस टेकरी का नाम रसिया की छतरी हो गया।

हालांकि इस टेकरी के निर्माण का स्पष्ट इतिहास नहीं मिलता लेकिन दावे किए जाते है कि 12 वीं शताब्दी में इस टेकरी का निर्माण कराया गया था।


टेकरी से दिखता है पूरे शहर का नजारा


शहर के बीचों- बीच ऊंची पहाड़ी पर बनी टेकरी से टोंक शहर का दीदार बाखूब किया जा सकता है। टेकरी पर चढ़कर अन्नपूर्णा गणेश मंदिर और शाही जामा मस्जिद को आसानी से देखा जा सकता है। मोहब्बत की निशानी के तौर पर अपनी पहचान रखने वाली इस टेकरी पर सालों- साल अंधेरा छाया रहा। कुछ वक्त तक तो टेकरी रात को रोशनी से चमकती हुई नजर आई किन्तु ध्यान नहीं दिए जाने से टेकरी पर दोबारा अंधेरा नजर आने लगा है। गौरतलब है कि बरसों पहले टेकरी में गड़े काल्पनिक खजाने के लालच में लोगों ने इसकी निर्ममतापूर्वक खुदाई कर दी थी, नतीजन टेकरी का स्वरूप खंडहर में तब्दील हो गया था। चार साल पहले तत्कालीन विधायक अजीत सिंह मेहता ने इसके जीर्णोद्धार के लिए 5 लाख रुपए स्वीकृत कराकर इसके विकास का कार्य शुरू कराया था, जीर्णोद्धार व लाईटिंग के कारण रात में भी टेकरी बेहद खूबसूरत नजर आने लगी थी। फिलहाल प्रशासन ने टेकरी की सुध लेना पूरी तरह से बन्द कर दिया है और शहर की ऐतिहासिक विरासत पुन: अंधेरों में गुम नजर आने लगी है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम