Jaipur News / चेतन ठठेरा । राजस्थान की राजनीति मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच प्रदेश मे सरकार गठन के बाद से ही चल रहे वाक व शीत युद्ध के बाद कांग्रेस आलाकमान मध्य प्रदेश के घटनाक्रम से सबक ले राजस्थान मे खतरे की घंटी से समय से पूर्व ही क्या सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर आसीन कर राजस्थान की सत्ता पायलट को सौपेगी ?
विदित है की राजस्थान में दिसंबर 2018 में हुए चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चले लंबे समय तक संघर्ष चला था और सचिन सर्मथक सचिन को सीएम बनाने के लिए सडको तक पर उतरे थे लेकिन कांग्रेस आलाकमान नेसतब सचिन और उनके समर्थकों को कहा था कि लोकसभा चुनाव में अगर अशोक गहलोत सफलता हासिल नहीं करते है तो उनसे कुर्सी छीन लिया जाएगी और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा । लोकसभा चुनाव मे राजस्थान में कांग्रेस एकतरफा हार के बाद भी ऐसा नहीं हुआ ।
गहलोत और सचिन के बीच 14 माह से नीत व वाक युद्ध
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री बनने को लेकर लंबे समय से शीत युद्ध चल रहा है पिछले 14 महीनों के दौरान कोई ऐसा दिन नहीं गुजरा जब पायलट और अशोक गुट की तरफ से कोई बयान बाजी नहीं हुई। बीते दिनों नागौर प्रकरण में दो युवकों के साथ हुई ज्यादती के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट खेमे में से सोनिया गांधी को एक रिपोर्ट भेजी गई थी जिसमें सरकार को पूरी तरह नाकाम बताया गया था ।।
अब यह विवाद
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के बीच अब जहां राज्यसभा चुनाव मे प्रत्याशियो को विवाद है पायलट एक जाट और एक मीणा जाति से प्रत्याशी बनाना चाहथे और गहलोत नही । वही इसके बाद मंत्री मंडल विस्तार मे थथा राजनितिक नियुक्तियों को लेकर मे अंदरखाने मे घमासान चल रहा है । ऐसे मे इस घमासान की परिणित मध्य प्रदेश की तरह कांग्रेस हाथ से सत्ता खोने से पहले करना चाहती है तो प्रदेश मे मुख्यमंत्री बदल सकती है ? और अगर ऐसा नही हुआ तो कुछ ही दिनो मे राजस्थान मे भी मध्य प्रदेश की कहानी दोहराई जा सकती है ।