Jaipur News – जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन शनिवार को बंटवारे के दर्द पर चर्चा की गई। आजादी के बाद बंटवारे पर बनी डॉक्यूमेंट्री पार्टीशन वॉइसेस (Documentary partition voices) पर कविता पुरी और सैम डेयरेम्पल को सुना के साथ अर्चना मल्होत्रा (Archana Malhotra) ने चर्चा की। इस दौरान कविता पुरी(Kavita Puri) ने बताया कि आजादी के वक्त हिंदुस्तान को अंग्रेजों से तो निजात मिल गई, लेकिन उनको बंटवारे का कभी न थमने वाला दर्द भी मिला।
उन्होंने बताया कि इस डॉक्यूमेंट्री में उन लोगों की आपबीती बताई गई है जो बंटवारे के वक्त मौजूद थे। उन्होंने डॉक्यूमेंट्री बनाने में दौरान हुए अनुभव भी साझा किए और कहा कि बंटवारे के बाद यहां आए लोगों के अनुभव आंखों में आंसू ला देने वाले थे। जब उन लोगों से बात की गई तो उन्होंने आंखों में आंसू के साथ अपने अनुभव बता दिए लेकिन सुनने वाले उन अनुभव को जीवन भर नहीं भूल पाएंगे।
सेम डेयरेम्पल ने बताया कि बंटवारे की त्रासदी झेलने वालों को एक लंबा सफर बिना किसी तैयारी के करना था। उस समय के हालात खतरनाक थे और भविष्य का कुछ पता नहीं था। बंटवारे के वक्त लोगों ने अपनी पुरानी दुनिया को पूरी तरह से खो दिया था और नई दुनिया को बनाने में उन्हें बहुत समय लग गया। आज भी वे जब उस दुनिया को याद करते हैं तो एक टीस सी उठती है जो बंटवारे ने उनसे छीन ली थी।
चर्चा के दौरान एक श्रोता ने ऐसी कहानियों पर रोक की मांग भी की। उनका कहना था कि ऐसी कहानियों से पुराने जख्म वापस हरे हो जाते हैं और व्यवसायिक हितों के लिए इनका इस्तेमाल करना भी गलत है।