- रामधाम में प्रवचन माला का समापन
Bhilwara News (मूलचन्द पेसवानी )- स्वयं से ऊपर उठकर के व्यक्ति दूसरों का भला चाहे वही व्यक्ति सार्थक होता है । प्रतिकूलता के लिए ही जीने की राह देखनी चाहिए। हम जैसा व्यवहार अपने साथ करते हैं वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करना चाहिए। नौकर और पशु के साथ भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए।
यह बात ओंकारेश्वर मार्केड्य आश्रम के सन्त प्रणवानन्द ने श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट भीलवाड़ा की ओर से हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में आयोजित प्रवचन सभा में श्रीमद्भागवत भगवत गीता के 13 वें अध्याय का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं से कही।
उन्होंने कहा कि बुरी संगत को छोड़कर सुगंधित जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए। इससे आपका जीवन बदल जाएगा और जो व्यक्ति सुगंधित है वही असली जीवन जीता है। चीनी में मिठास होती है इसलिए वह घुल जाती है ।
उसी प्रकार मनुष्य का व्यवहार अगर अच्छा हुआ तो वह किसी के साथ भी घुल मिल सकता है। स्वाध्याय को अपनाएं और अज्ञानता से ऊपर उठे यही हमारा धर्म है । प्रवक्ता वीणा मानसिंहका ने बताया कि प्रवचन के प्रारम्भ में अशोक सोमानी, मोहन कुमावत, बंशीलाल सोडानी, लीला लुहार, कांता देवी पोरवाल, गोविंदप्रसाद सोडानी, उषा गर्ग आदि ने सन्त प्रणवानन्द सहित सभी 11 सन्तों का आशीर्वाद लिया। महाराज श्री के प्रवचन शक्करगढ़ वह प्रतापगढ़ में होंगे।