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जांच की धीमी चाल,भ्रष्ट सरपंचों को अभयदान - Dainik Reporters

जांच की धीमी चाल,भ्रष्ट सरपंचों को अभयदान

liyaquat Ali
3 Min Read

Jaipur news /Dainik reporter – पंचायती राज में भ्रष्टचार की जड़े गहरी होती जा रही है। इससे भी चिन्ताजनक बात यह है कि भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की धीमी गति है। प्रदेश में पिछले पांच सालों में सरपंचों के खिलाफ 4,455 शिकायतें प्राप्त हुई है। जिनमें से केवल 1,524 शिकायतें ही निपटाई गई है बाकी की 3,214 शिकायतें आज भी सरकार के पास कार्रवाई के लिए लंबित है। दूसरी तरफ प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बजने की तैयारी हो गई है। शिकायतों में ज्यादातर मामले आमजन से जुड़े निर्माण कार्यों में भ्रष्टïाचार के है।

पंचायती राज प्रतिनिधियों के मामले में कार्रवाई हो या न हो यह बात सबसे ज्यादा निर्भर राजनीतिक प्रशय पर करती है। जनप्रतिनिधि सत्ताधारी दल का हाथ थामे है तो शिकायतों पर कार्रवाई होने का सवाल नहीं उठता। शिकायतों को दफ्तर दाखिल कर मामले को ठण्डा करने के प्रयास होते है। यदि जनप्रतिनिधि सत्ताधारी दल के  फेम में सेट नहीं बैठता तो उसके खिलाफ जांच आगे बढऩा तय होता है।

ऐसा नहीं है कि पंचायती राज में भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ठोस कानून नहीं है।  सरकार में जांच यदि आगे बढ़ती है और कार्रवाई होती है तो भ्रष्ट जनप्रतिनिधि का बचना मुश्किल होता है। उनका पद जाने के साथ ही जेल तक का सफर जनप्रतिनिधि को भुगतना होता है। राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 38(4) के तहत निलंबन की कार्रवाई की जाती है।

वर्ष,2013 से 2019 तक गबन और अन्य कारणों से 160 जनप्रतिनिधियों को जेल भेजा गया। इनमें जिला परिषद सदस्य ,प्रधान और सरपंच शामिल है। जेल भेजे गए प्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा संख्या झालावाड़ और श्रीगंगानगर जिले की रही।

पंचायती राज में राजनीतिक दखल के चलते जहां कार्रवाई को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है। वहीं राजनीतिक द्वेष से कार्रवाई की गति बढ़ भी जाती है। प्रदेश में दिसंबर में सरकार बदलते ही छह माह में  335 सरपंचों के विरूद्ध अनियमितता की शिकायतें दर्ज की गई। इनमें से 15 को पद से हटाया गया है।

पंचायती राज में बड़ी संख्या में अधिकारियों के पद खाली चल रहे है।भ्रष्टïाचार की बढ़ी वजह सरकारी मॉनिटरिंग का अभाव भी है। जनप्रतिनिधियों के तरफ से अनुमोदित काम और भुगतान की सही तरह से मॉनिटरिंग  नहीं हो पाती है। राज्य में ग्राम विकास अधिकारियों के 9891 पद स्वीकृत है जिनमें  2140 पद रिक्त है ।

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