बहुमत के लिए किसके पास कितने पार्षद है, कोनसा दल किसे तोड़ेगा या कौन पार्षद किस दल में वोटिंग करेगा। शहर में ऐसी ही बातों की चर्चाओं का दौर गरम है।
दोनों ही पार्टियां जीत के आंकड़ों को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है। हालांकि किसी को भी पूर्ण बहुमत नही मिला है। कांग्रेस 27, भाजपा 23 व 10 सीटें निर्दलीयों को मिली है। सारा दारोमदार निर्दलीयों पर ही टिका है।
लेकिन निर्दलीय किधर टिकते है, ये देखने वाली बात होगी। शह और मात के इस राजनीतिक खेल में कौन किस पर हावी रहेगा, और किसकी हवा निकलेगी। ये देखना दिलचस्प रहेगा। अगर वर्ष 2004 को छोड़ दें तो जिसकी राज्य में सरकार रही उसी दल का सभापति ही बनता आया है।