नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं. हालांकि दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता उन्हें इस्तीफा देने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश करने में जुटे हुए हैं. हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि वह इस्तीफा देने का अपना निर्णय वापस नहीं लेंगे क्योंकि किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा नहीं दिया.
राहुल गांधी का इतना कहना था कि कांग्रेस में इस्तीफों की झड़ी लगती दिखाई दे रही है. शुक्रवार को कई प्रदेशों के अध्यक्षों समेत 120 पदाधिकारियों ने इस्तीफा दिया है. इस्तीफा देने वाले बड़े नेताओं में दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया भी शामिल हैं. इसके अलावा हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान, तेलंगाना कांग्रेस उपाध्यक्ष पूनम प्रभाकर और एमपी प्रभारी और महासचिव दीपक बावरिया ने भी इस्तीफा दिया है.
गुरुवार रात को कांग्रेस के लॉ, आरटीआई और एचआर डिपार्टमेंट के चेयरमैन विवेक तंखा ने अपने पद से इस्तीफा देकर कहा था कि अन्य नेताओं को भी इस्तीफा देना चाहिए ताकि राहुल गांधी निर्णय ले सकें.
बता दें कि हाल ही में यूथ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से अध्यक्ष पद न छोडऩे की गुहार लगाने के लिए उनके घर के बाहर एकत्र हुए थे. राहुल गांधी ने इन्हें अपने घर में आमंत्रित किया और उनसे अपने मन की बात की. बैठक में यूथ कांग्रेस के नेता ने राहुल गांधी से कहा कि ये सामूहिक हार है, तो इस्तीफा आपका ही क्यों? राहुल गांधी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मुझे इस बात का दुख है कि मेरे इस्तीफे की पेशकश के बाद भी किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्ष ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने की बात नहीं कही.
कांग्रेस के नेता एम वीरप्पा मोइली ने शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने की एक प्रतिशत भी संभावना नहीं है. उन्होंने कहा, “आज मुझे नहीं लगता कि उनके (राहुल गांधी के) फिर से जिम्मेदारी संभालने की एक प्रतिशत भी संभावना है. किसी अन्य नाम पर विचार करने से पहले सीडब्ल्यूसी निश्चित रूप से बैठक करेगी. जब तक सीडब्ल्यूसी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं करती, अटकलें और उनके बयान चलते रहेंगे.
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित ने शुक्रवार को सभी 280 ब्लॉक कांग्रेस समितियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया. ये फैसला उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हुई बैठक के बाद लिया है. इसके साथ ही जिला कमेटियां भंग करने के लिए एआईसीसी से अनुमति मांगी जा रही है. भंग करने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पुनर्गठन की तैयारी चल रही है. इसके साथ ही कार्यकारी अध्?यक्षों ने भी इस्तीफा दे दिया है.