राइट टू हेल्थ बिल क्या है, क्यों घबरा रहा है डाॅक्टर,सरकार क्यों है अड़ी हुई

Dr. CHETAN THATHERA
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जयपुर/ भीलवाड़ा/ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जीत कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के लिए लाए गए राइट टू हेल्थ बिल को लेकर बवाल मचा हुआ है और एक पखवाड़े से डॉक्टर इस बिल के विरोध में अपने निजी हॉस्पिटल बंद करके सड़कों पर जमे हुए हैं और इस बिल को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं ।

जबकि गहलोत सरकार इस बिल को विधानसभा में पारित करा राज्यपाल की स्वीकृतिके बाद कानून बनाने को तत्पर है । आखिर राइट टू हेल्थ बिल क्या है क्यों इस बिल को लेकर प्रदेश के निजी चिकित्सक और चिकित्सालय घबराए हुए हैं और क्यों सरकार इस बिल को लागू करने पर तत्पर है आइए जानते हैं ।

राजस्थान में गहलोत सरकार ने निजी चिकित्सक और चिकित्सालयों के विरोध के बाद भी 21 मार्च को विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल अर्थात स्वास्थ्य का अधिकार पारित करा दिया और यह बिल पारित होने के साथ ही राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है।

जहां सरकारी हो और निजी अस्पताल में अब उपचार से इनकार नहीं किया जा सकता और हर व्यक्ति को उपचार की गारंटी मिलेगी । 

राइट टू हेल्थ बिल के तहत आपातकालीन की स्थिति में निजी अस्पताल को भी निशुल्क इलाज करना होगा इस निशुल्क इलाज के लिए अलग फंड बनेगा।

जिसकी भरपाई सरकार करेगी अर्थात निजी अस्पताल को उस उपचार का खर्चा सरकार देगी ऐसे आपातकालीन मामलों में इस दिल के तहत अगर निजी अस्पताल द्वारा लापरवाही बढ़ती जाती है तो और उपचार के लिए इंकार किया जाता है।

तो बिल का उल्लंघन मानते हुए प्रथम बार पर ₹10000 तक का जुर्माना और दूसरी बार ₹25000 का जुर्माना देना होगा इस बिल के तहत शिकायतें सुनने और अपील के लिए जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण बनेगा प्राधिकरण में ही शिकायतें सुनी जाएगी और बिल के उल्लंघन से जुड़े मामले में प्राधिकरण के फैसले को किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

राज्य स्तर पर हर जिला स्तर पर हेल्थ अथॉरिटी बनेगी

राजस्थान स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी जिसमें संयुक्त सचिव या उससे ऊपर की रिंग का आईएएस अधिकारी अध्यक्ष होगा हेल्थ निदेशक सदस्य सेक्रेटरी होंगे तथा मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर राजस्थान स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के संयुक्त सीईओ आयुर्वेदिक डायरेक्टर होम्योपैथिक डायरेक्टर यूनानी डायरेक्टर इसके सदस्य होंगे और सरकार की ओर से डोमनिक लोग भी होंगे ।

जिन्हें पब्लिक हेल्थ हॉस्पिटल मैनेजमेंट की जानकारी हो वह सदस्य होंगे पदेन सदस्य के अलावा सभी सदस्यों की नियुक्ति 3 साल के लिए होगी 6 महीने में कम से कम एक बार हेल्थ अथॉरिटी की बैठक होगी और साल में दो बार बैठक करनी होगी।

राजस्थान के सभी जिलों में जिला स्तरीय हेल्थ अथॉरिटी बनाई जाएगी स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनने की दिनांक से 1 महीने के अंदर डिस्टिक हेल्थ अथॉरिटी की ऑटोनॉमस( स्वायत्त) बॉडी बनाई जाएगी ।

जिसमें जिला कलेक्टर पदेन अध्यक्ष होगा और जिला परिषद सीईओ पदेन सह अध्यक्ष होगा । और डिप्टी सीएमएचओ पदेन सदस्य जिला आयुर्वेदिक अधिकारी और पीएचईडी के ऐसी पदेन सदस्य होंगे तथा राज्य सरकार की ओर से 2 मनोनीत सदस्य होंगे।

जिला परिषद का प्रमुख इसका सदस्य होगा शाहजी पंचायत समिति के 3 प्रधान सदस्य होंगे पदेन सदस्य के अलावा सभी सदस्यों की नियुक्ति 3 महीने के लिए होगी।

राइट टू हेल्थ मे प्रदेश की जनता को क्या मिलेगी सुविधाएं

चिकित्सा का अधिकार कानून के तहत राजस्थान में हर व्यक्ति को बीमारी का डायग्नोसिस जांच इलाज भावी परिणाम और संभावित जटिलताओं और एक्सपेक्टेड ( संभावित) खर्चों के बारे में अच्छी तरह जानकारी मिल सकेगी ।

एक्ट के तहत बनाए गए नियम के जरिए आउटडोर रोगी भर्ती रोगी चिकित्सक को दिखाना और परामर्श दवाइयां टेक्नोसिस आपातकालीन ट्रांसपोर्टेशन अर्थात एंबुलेंस सुविधा प्रक्रिया और सर्विसेज आपातकालीन उपचार मिलेगा ।

रोगी के बीमारी की नेचर उसका कारण वास्तविक जांच केयर इलाज और परिणाम संभावित जटिलताओं और संभावित प्रश्नों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी।

रोगियों को सभी पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट अर्थात निजी अस्पताल द्वारा उनके मेडिकल केरल लेवल के अनुसार निशुल्क उपचार दिया जाएगा।

सीसिया चार्ज के एडवांस भुगतान के बिना आपातकालीन स्थिति के दौरान बिना देरी किए निजी सर्विस प्रोवाइडर जरूरी आपातकालीन और उपचार सुविधा और इंसेंटिव केयर आपातकालीन डिलीवरी और उपचार देंगे।

कोई मेडिको कानूनी मामला है तो हेल्थ केयर प्रोवाइडर केवल पुलिस की एनओसी अर्थात अनापत्ति प्रमाण पत्र या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर उपचार में देरी नहीं करेगा।

रोगी को दस्तावेज जांच रिपोर्ट उपचार की पूरी जानकारी मद अनुसार बिलों तक पहुंच होगी अर्थात रोगी को अपनी जांच रिपोर्ट खर्चे की पूरी जानकारी विस्तार से जानने का अधिकार होगा।सर्जरी कीमोथेरेपी कि पहले से ही सूचना देकर रोगी या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी।

महिला रोगी के शारीरिक परीक्षण के दौरान अगर वह पुरुष द्वारा लिया जाता है तो उस समय अन्य महिला कार्मिक की जिया रोगी के परिजन महिला की उपस्थिति जरूरी होगी।

उपचार का तरीका का चयन रोगी अपने हिसाब से कर सकेगा उस पर दबाव नहीं डाला जा सकेगा।हर तरह की सर्विस और सुविधा की दर और टैक्स के बारे में सूचना पाने का हक रोगी और उसके परिजनों को होगा।

 

उपचार के दौरान दवा लेने और जांच के स्रोत का चयन रोगी और उसके परिजन ही कर सकेंगे।हेल्प की स्थिति के बारे में रोगी को शिक्षित किया जाएगा।रोगी को सभी राजकीय और निजी अस्पताल मेडिकल इंस्टिट्यूट से रेफरल ट्रांसपोर्टेशन अर्थात एंबुलेंस की सुविधा मिलेगी।

डॉक्टर की सलाह के खिलाफ जाकर अस्पताल छोड़ने वाले रोगी के मामले में इलाज का पूरा ब्योरा प्राप्त किया जा सकेगा।सड़क दुर्घटना की स्थिति में रोगी को निशुल्क एंबुलेंस और निशुल्क उपचार और निशुल्क इंश्योरेंस कवर इस्तेमाल होगा।

रोगी को अन्य किसी अस्पताल या चिकित्सक से उपचार लेने के पहले पहले से उपचार चिकित्सक या चिकित्सालय से उपचार का पूरा ब्यौरा लेने का अधिकार होगा।

 

राजस्थान सरकार पाबंद होगी कि वह राइट टू हेल्थ के लिए बजट में उचित प्रावधान करें।सरकार उपचार की क्वालिटी और सुरक्षा मेजरमेंट्स और नियम नियम शामिल करेगी।गारंटी सर्विसेज से कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर इंकार नहीं कर सकेगा।

पोषण अर्थात न्यूट्रिशन के लिए पर्याप्त और सुरक्षित खाना देने शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था हाइजीन के लिए सरकारी विभाग के बीच समन्वय किया जाएगा।

 

शिकायत निवारण सिस्टम तैयार होगा

एक्टिव शुरू होने की दिनांक से 6 महीने के अंदर सरकार कंप्लेंट रिड्रेसल सिस्टम क्रिएट करेगी।वेब पोर्टल सहायता केंद्र शिकायतों को 24 घंटे के अंदर संबंधी अधिकारी या अब जानवर को भेजेगा संबंधित अधिकारी अगले 24 घंटे के अंदर शिकायत करने वाले को जवाब देगा।

अगर 24 घंटे में शिकायत का समाधान अधिकारी नहीं करता है तो वह शिकायत डिस्टिक हेल्थ अथॉरिटी को तुरंत भेजी जाएगी। डिस्टिक हेल्थ अथॉरिटी शिकायत मिलने के 30 दिन में उचित कार्रवाई करेगी और उसकी रिपोर्ट पर पोर्टल पर अपलोड करेगी शिकायतकर्ता को भी सूचना दी जाएगी शिकायतकर्ता को बुलाकर समाधान की कोशिश भी की जाएगी।

डिस्टिक हेल्थ अथॉरिटी की ओर से 30 दिन में शिकायत का समाधान नहीं होने पर शिकायत को स्टेट हेल्थ अथॉरिटी को भेजा जाएगा

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम