आखिर किस बात से है पायलट और गहलोत के बीच दूरी….

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जयपुर

 विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच बनी दूरियों की खाई पाटने का नाम ही नहीं ले रही है। कांग्रेस के सत्तासीन होने के बाद भी दोनों नेताओं के बीच यह दूरी बढ़ती ही जा रही है।राजनीतिक पंडित दोनों इनके बीच की दूरी का जहां बड़ा कारण सत्ता की लालसा बता रहे हैं वही भीतरखाने माना जा रहा है कि इन दोनों के बीच दूरियां बढ़ाने मैं इनके निकटवर्ती नेताओं की महती भूमिका है। हालांकि अभी तक खुलकर कुछ भी सामने नहीं आया है परंतु यह बात सामने है कि दोनों के बीच लड़ाई तो मुख्यमंत्री की सीट को लेकर ही है।

प्रदेश के इन दोनों नेताओं के बीच उस समय दूरियां बढ़ने लगी जब विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हुई। विधानसभा चुनाव से पहले एकाएक अशोक गहलोत प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट का गुट उन्हें पीसीसी से दूर रखने में जुट गया। हालात ऐसे बने कि दोनों नेताओं के बीच शीत युद्ध छिड़ गया और कई मौकों पर दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर शब्दवाण चलाएं। बड़ा मामला उस समय सामने आया जब अशोक गहलोत केंद्र में राष्ट्रीय महासचिव होते हुए प्रदेश में सक्रिय हो गए और गहलोत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होते हुए भी आगे नहीं बढ़ पाए इसी बीच विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिल गया और कांग्रेस सत्तासीन हुई। वर्ष 2018 में शुरू हुई है इन नेताओं की जंग अभी तक छिड़ी हुई है।

पार्टी की सत्ता में आने के साथ ही पायलट और गहलोत के बीच शीतयुद्ध ज्यादा बढ़ गया। पहले तो इन दोनों नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबी खींचतान चली और करीब 1 सप्ताह तक मशक्कत और दौड़ के बाद अंततः अशोक गहलोत यह जंग जीत गए। लेकिन पायलट ने भी हौसला नहीं खोया और उपमुख्यमंत्री बने । हालांकि Deputy Chief Minister बनने के बाद उन्हें कोई बड़ा लाभ नहीं हुआ और  उन्हें अपेक्षाकृत कमजोर विभाग दिए गए । जबकि उप मुख्यमंत्री होते हुए पायलट सरकार में नंबर टू की भूमिका में हो सकते थे। लेकिन उन्हें कमजोर विभाग देकर शांति धारीवाल और बीड़ी कल्ला को पायलट से आगे रखा गया।

राज्य में बन रहे ऐसे हालात को देखते हुए पायलट मुखर हो गए हैं और हाल ही में उन्होंने कई मौकों पर अशोक गहलोत और उनके सहयोगी मंत्रियों पर निशाना साध कर अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी है। राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर पीसीसी में हुए कार्यक्रम के दौरान भी पायलट ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि जिस प्रकार राजीव गांधी आम कार्यकर्ता की बात सुनते थे उसी तर्ज पर आप भी कार्यकर्ता की पीड़ा को समझा करो और उन्हें तवज्जो दिया करो।

इसके कुछ देर बाद ही बिड़ला सभागार में उन्होंने मुख्यमंत्री के निकटतम मंत्री शांति धारीवाल पर शब्द बाण छोड़े की जिस प्रकार जोश और उत्साह में शांति धारीवाल ने यहां भाषण दिया है उतना ही जोश और उत्साह चुनाव में दिखाते तो हाडोती में पार्टी को 4 सीटें ज्यादा मिल जाती। उन्होंने महापौर विष्णु को भी निशाने पर लिया और कहा कि जिस प्रकार तैयारी कर रहे हैं उससे लगता है कि टिकट की दौड़ में है।

पायलट(Pilot) के इन शब्द बाणों से यह साफ हो गया है कि अब वे खुलकर जंग के मूड में आ गए हैं और जल्द ही प्रदेश कांग्रेस में कोई बड़ा बदलाव किए जाने के संकेत दे रहे हैं। उनके बयान से यह बात भी साफ हो गई है कि अगले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर महापौर का प्रत्याशी विष्णु लाटा उनकी पसंद नहीं है। ऐसे में अब लाटा के सामने भी मुसीबत हो गई है कि वे कहां जाएंगे। आपको बता दें कि अभी 6 माह पहले ही लाटा भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

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