कर्नाटक में मतदाताओं ने दोहराया इतिहास क्या अब राजस्थान की बारी

Dr. CHETAN THATHERA
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जयपुर/ डाॅ.चेतन ठठेरा।कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और यहां भाजपा का कमल मुरझा गया तथा कांग्रेस का हाथ लहरा गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह की लाख कोशिशों के बाद भी भाजपा अपनी सरकार नहीं बना सकी और गठबंधन की सरकार को रिपीट होने से भी नहीं बचा सकी।

इसे यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कर्नाटक में एक बार फिर इतिहास दोहराया गया है मतलब मतदाता ने हर 5 साल मे सत्ता परिवर्तन के चलन को बरकरार रखा और हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन का जो चलन पिछले दो दशक से चला आ रहा ।

वह बरकरार रहा और कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस विधानसभा चुनाव में 80 नई सीटें जीती है और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद जिस क्षेत्रों से गांधी की यात्राएं गुजरी उनमें से 51 सीटें कांग्रेस ने जीती है । कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सत्ता विरोधी लहर और राहुल गांधी की यात्रा ने कांग्रेस को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाया है ।

अब 5 माह बाद राजस्थान में भी चुनाव है और वर्तमान में राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता है तथा सत्ता के खिलाफ पार्टी के ही लोग और नेता और विधायक मंत्री खुलेआम सार्वजनिक रूप से बगावत कर रहे हैं ।

ऐसे में कांग्रेसका वापस सत्ता में आना मुश्किल लग रहा है और वैसे भी राजस्थान में भी कर्नाटक की तरह हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन का इतिहास पिछले 2 दशकों से अधिक से चला आ रहा है जो इस बार भी कायम रहने की संभावनाएं अधिक है।

भाजपा का देश में घटता जनाधार कैसे जाने

वर्तमान में देश में 30 विधानसभा में हैं इनमें 2 केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पांडिचेरी भी शामिल है कर्नाटक के नतीजों के बाद भाजपा 15 प्रदेशों में ही सत्ता में है और इनमें भी भाजपा अकेली पार्टी के रूप में केवल 9 प्रदेशों में सप्ताह में है और 6 राज्यों में गठबंधन पार्टियों के साथ सरकार में है जबकि 2018 में देश के 21 राज्यों में भाजपा की सरकारें थी।

पश्चिम भारत मे महाराष्ट्र गुजरात और राजस्थान शामिल है इनमें महाराष्ट्र में जिंदगी शिवसेना के साथ भाजपा की सरकार है गुजरात में भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार है और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है इन तीनों राज्यो मे 670 विधायकों में से 331 भाजपा के हैं और इन प्रदेशों के 99 सांसदों में से 73 सांसद भाजपा के है।

पूर्वी भारत में दिल्ली पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश उत्तर प्रदेश उत्तराखंड शामिल है उत्तर भारत में हरियाणा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है यहां कुल 818 विधायक चुने जाते हैं इनमें से भाजपा के 377 विधायक हैं और 189 सांसदों में से भाजपा के 98 सांसद हैं।

मध्य भारत मे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य शामिल है मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है इन प्रदेशों में कुल 420 विधायक चुने जाते हैं जिनमें से 144 विधायक भाजपा के हैं और 40 सांसदों में से 36 सांसद भाजपा के हैं।

दक्षिण भारत जिसमें कर्नाटक की हाल ही में हार के बाद दक्षिण के पांच राज्य में से किसी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है इसमें 1 केंद्र शासित प्रदेश से कुल 130 लोकसभा सांसद आते हैं ।

इनमें भाजपा के केवल 29 सांसद हैं इनमें भी 25 सासंद कर्नाटक से और 4 सांसद तेलंगाना से हैं दक्षिण भारत के इन राज्यों की विधानसभाओं में कुल 923 विधायक हैं कर्नाटक चुनाव से पहले तक भाजपा के कुल 135 विधायक से कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद 40 विधायक कम कर दे तो कांडा और घट गया ।

लोकसभा में भाजपा की प्रदेशों के अनुसार स्थिति

लोकसभा में 303 सीटें हासिल करने वाली भाजपा 14 राज्यों में अधिकतम सीटें हासिल करने की स्थिति में पहुंच चुकी थी इन राज्यों में गुजरात राजस्थान दिल्ली हिमाचल प्रदेश त्रिपुरा हरियाणा और उत्तराखंड की सभी लोकसभा सीटे भाजपा ने जीती ।

जबकि कर्नाटक में 28 में से 25 सीटें मध्यप्रदेश में 29 में से 28 बिहार में गठबंधन में 40 में से 39 तथा महाराष्ट्र में गठबंधन में 48 में से 41 सीटें भाजपा ने जीती थी उत्तर प्रदेश में 80 में से 64 और झारखंड में 14 में से 12 तथा छत्तीसगढ़ में 11 में से 9 सीटें भाजपा के पास है आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए चुनाव बड़ी मुश्किल वाले हो सकते हैं।

नहीं चला मोदी का जादू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान प्रदेश के 20 जिलों में रैलियां और धुआंधार जनसभाएं की थी इनमें कुल 164 विधानसभा सीटें आती है लेकिन मोदी की रेलिया और दौरे के बाद भी भाजपा यहां से केवल 55 सीटें ही जीत पाई और 90 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और 19 सीटों पर यहां जेडीएस ने बाजी मारी ।

इसके साथ ही भाजपा ने 224 विधानसभा सीटों पर 72 नए चेहरे उतारे थे तथा पूर्व मंत्री के साथ ही 21 विधायकों के टिकट भी काटे गए इनमें पूर्व सीएम और डिप्टी सीएम के नाम भी शामिल थे।

लेकिन इसके बाद भी सत्ता विरोधी लहर कम नहीं हो पाई भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा भाजपा ने एक परिवार से एक व्यक्ति को टिकट देने का जो फार्मूला लागू किया था वह भी कामयाब नहीं हुआ इस चुनाव में सबसे रोचक बात यह रही कि जो भाजपा और अन्य दलों को छोड़कर कांग्रेस में आए 23 नेताओं में से 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में कांग्रेस टिकट से चुनाव जीत गए।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम