Jaipur News / Dainik reporter – राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को भारतीय संविधान को लेकर बुलाए गए विशेष सत्र के पहले दिन संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल की आरएसएस प्रमुख रहे माधवराव सदाशिव गोलवलकर पर की टिप्पणी को लेकर हंगामा हो गया।
पहले वक्ता के रूप में धारीवाल ने कहा कि वर्ष,1924 में जब राष्ट्र्रपिता महात्मा गांधी ने देश की जनता से अपने घरों और प्रतिष्ठानों पर तिरंगा फहराने का आह्वïान किया तो गोलवलकर की शाखाओं में भगवा फहराया गया। राष्ट्रगान और तिरंगे का किसने अपमान किया था, गांधी की हत्या के बाद देश में बंद का किसने विरोध किया था। इस पर भाजपा के सदस्य खड़े होकर उनकी टिप्पणी का विरोध करने लगे।
अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी से भाजपा के मदन दिलावर की नोक-झोंक हो गई। जोशी ने कहा कि आपने क्या विचारधारा का ठेका ले रखा है, आप गरिमा नहीं समझते क्या? उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे पहले क्या हुआ, उसे छोड़ कर भविष्य पर चर्चा करें।
प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि विशेष सत्र बुलाना अच्छी बात है, भविष्य को लेकर ही चर्चा होनी चाहिए, किसी पर पत्थर फेंकने का काम नहीं करें, हमारे पास भी आपका चिठ्ठा है। हम मजबूर नहीं है, नीचा नहीं दिखाएं किसी को।
इससे पहले भाजपा पर सीधा हमला करते हुए धारीवाल ने कहा कि आज मीडिया को चुपचाप अपनी तरफ कर लिया गया है। ऐसी कोई भी संस्था नहीं बची जिसकी साख बढ़ी हो, लोकतांत्रिक संस्थाओं की ईंट रोजाना गिर रही है, आरबीआई, सीएजी सभी की आजादी समाप्त हो गई है। संघीय व्यवस्था बेकार हो गई है।
असल मकसद तो संविधान है। संस्थाओं की स्वतंत्रता समाप्ति तो शुरुआत है, संविधान औैर आरक्षण की समीक्षा की बात हो रही है। धारीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाते हुुए कहा कि सुभाषचन्द्र बोस ने वर्ष,1944 में सिंगापुर में कहा था कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है जिसका आजादी के बाद सरोजनी नायडू ने समर्थन किया,लेकिन अमेरिका में वहां के राष्ट्रपति कहते है कि ये (मोदी) भारत के पिता है तो मोदी मुुस्कारते है लेकिन यह नहीं कहते कि हमारे राष्ट्रपिता तो एक ही है।
डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा, जब संविधान लिखा जा रहा था उस समय की परिस्थतियों को भी ध्यान में रखना होगा। देश का विभाजन हुआ। भुखमरी थी, 15 फीसदी की शिक्षित थे। संविधान निर्माताओं के जज्बे को सलाम, कई देशों के संविधान के अच्छे प्रावधानों को हमारे संविधान में लिया गया। संविधान में अब तक 100 से ज्यादा संशोधन हुए हैं, इन संशोधनों से संविधान मजबूत हुआ है।
आज मजबूरन कई लोगों को अम्बेडकर को याद करना पड़ रहा है। उन्होंने साध्वी प्रज्ञा पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी राष्ट्रपिता के बारे में नेता प्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष ने अच्छी बातें बोलीं लेकिन राष्ट्रपिता के बारे में संसद में जो बोला गया, राष्ट्रपिता के हत्यारे गोडसे को देशभक्त कहा गया। जो भी राष्ट्रभक्त हैं, उन्हें इस बयान की निंदा करनी चाहिए। महात्मा गांधी के चश्मे को चुराकर गांधीवादी नहीं हो सकते, गांधी के विचारों को अपनाना पड़ेगा।
प्रतिपक्ष के उपनेता को आड़े हाथों लेते हुुए उन्होंने कहा कि चीन ने बहुत आर्थिक तरक्की कर ली है लेकिन आप चीन से भारत की तुलना नहीं कर सकते। जो भाषण आप यहां दे रहे हैं, वह चीन में नहीं दे सकते, यह लोकतंत्र में ही संभव है।
चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने धारीवाल पर अम्बेडकर पर प्रतिकूल टिप्पणी का आरोप लगाते हुए कहा कि लोग ग्राम सभा में उनका बयान सुनेंगे तो पता नहीं क्यो होगा? उन्होंने अम्बेडकर के वर्ष,1954 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयान का जिक्र करते हुुए कहा कि उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों से कहा था कि कांग्रेस को वोट देने की बजाय खुदकुशी कर लें।
उन्होंने कहा कि संविधान एक सामाजिक दस्तावेज है, यह अम्बेडकर ने कहा था। संसदीय कार्यमंत्री ने ऐसी जगह पत्थर फेंका है, राजस्थान का जर्रा जर्रा हिसाब मांगेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष,1952 के चुनाव में कांग्रेस ने अम्बेडकर को टिकट नहीं दिया था।
वर्ष,1989 तक संसद में अम्बेडकर की प्रतिमा या उनके नाम कुछ नहीं हुआ। उन्होंने धारा 370 की जिक्र करते हुुए कहा कि हमे प्रधानमंंत्री को धन्यवाद देना चाहिए, जिन्होंने सात दशक के अभिशाप से मुक्त कर दिया।