एसएमएस में पति के लिए अब 135 किडनी पत्नी ने दी, पति 13 पर अटके
Jaipur news : आज भी पुरुष प्रधान समाज में महिलाएं ही रिश्ते निभाने में आगे रहती है। भले ही पति और पत्नी का रिश्ता भगवान बनाकर भेजता है लेकिन रिश्तों तथा अपनों को बचाने के लिए आज भी दर्द घर की महिलाएं ही सह रही है। इसकी बानगी प्रदेश के सबसे बडे सवाई मानसिंह अस्पताल के नेफ्रोलोजी विभाग के आंकडों को देखने में मिल रही है। यहा अब तक हुए गुर्दा प्रत्यारोपण में पति के लिए गुर्दा दान करने में महिलाएं ही आगे रही है जबकि पत्नी के लिए अपनी किडनी दान करने में पति महिलाओं से बहुत पीछे हैं।
महिलाओं ने सहा दर्द
एसएमएस अस्पताल में अब तक करीब 550 गुर्दा प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं। इसमें 135 मामलों में पत्नी ने अपना किडनी देकर पति का जीवन बचाया है वहीं दूसरी ओर 13 मामलो में पति ने अपने रिश्ते की प्रगाढता दर्शाते हुए पत्नी को किडनी डोनेट की है। अस्पताल में अब तक हुए किडनी ट्रांसप्लांट में 90 प्रतिशत मामले राजस्थान के तथा शेष 10 प्रतिशत मामले अन्य राज्यों के हैं।
निभाया साथ फेरों का वचन
किडनी डोनेशन में कई मामले ऐेसे हैं जहां पति और पत्नी ने एक दूसरे का दर्द साझा करते हुए अपनी किडनियां एक दूसरे को दान दी है। इसमें हरियाणा के ममता और शिवकुमार का केस भी शामिल है। ममता की दोनों किडनियां खराब होने पर लंबे समय तक शिवकुमार ने उसकी अस्पताल में सेवा की तथा बाद में अपनी एक किडनी ममता को दे दी। आज यह दंपति खुशहाली से जीवन गुजार रहा है। ऐसा ही दूसरा मामला मूलत: चौमूं और हाली निवास वीकेआई निवासी सुनीता और नरेन्द्र जांगिड का है। इन दोनों का विवाह 25 वर्ष पहले वेलेन्टाइन डे के दिन ही हुआ था तथा पिछले दिनों नरेन्द्र की किडनी खराब होने पर सुनीता ने अपनी किडनी देकर नरेन्द्र को नया जीवन दिया है।
कुछ रिश्ते ऐसे भी….
पति की जान बचाने के लिए जहां पत्नी आगे आ रही है वहीं कई मामलों में रिश्ते निभाने में पति पीछे हट रहे हैं। एसएमएस के नेफ्रोलोजी के वरिष्ठï आचार्य डॉ. धनंजय अग्रवाल ने बताया कि कई बार पति अपनी पत्नी को किडनी देने से पीछे हट जाते हैं। हाल ही में एक पति ने तो किडनी देने से यह कहकर साफ मना कर दिया था कि उसकी शादी तो उसकी इच्छा के विपरीत हुई थी, ऐसे में वह पत्नी को किडनी नहीं देगा। ज्यादा दवाब डालने पर बहाने बनाते हुए उसने कहा कि किडनी निकाल लो लेकिन दर्द नहीं होना चाहिए।