Udaipur News। कोरोना काल से उबर रही दुनिया के बीच पर्यटन शहर उदयपुर भी धीर-धीरे संवरता नजर आ रहा है। शहर के उद्यानों को फिर से संभाला जा रहा है, साथ ही जहां भी ऐसी कोई जगह जहां उद्यान विकसित हो सकता है और अभी कूड़-करकट पड़ा हुआ है, उस जगह को भी हरा-भरा करने का काम हो रहा है।
इसी तरह का एक उद्यान स्वरूपसागर के किनारे विकसित हो रहा है जिसे नगर निगम के सहयोग के लिए उदयपुर की सिक्योरमीटर द्वारा पोषित ‘धरोहर’ संस्था ने गोद लिया है।
अगले कुछ सालों में 10 लाख पौधे उदयपुर में लगाने के लक्ष्य के तहत संस्था ने स्वरूपसागर से नई पुलिया जाने वाले मार्ग पर कूड़ा-करकट से पटी जगह को संवारना शुरू कर दिया है और फरवरी के अंत तक यहां एक खूबसूरत उद्यान नजर आने वाला है।
इस उद्यान की खास बात यह है कि यहां वेस्ट वस्तुओं का बखूबी उपयोग किया जा रहा है। काम नहीं आने वाले ट्रकों के टायरों से बच्चों के मनोरंजन के साधन बनाए जा रहे हैं तो रिसाइकिल प्लास्टिक का भी यहां उपयोग होगा। यहां रिसाइकिल प्लास्टिक से बनी चिड़ियाओं के झुण्ड तारों पर इस तरह लगाए जाएंगे मानों वहां चिड़ियाओं का डेरा हो। स्वरूपसागर के पश्चिमी छोर पर सब-स्टेशन के सामने बन रहे इस पार्क की आकृति भी चिड़िया जैसी होगी। इसीलिए इसे अभी से बर्ड पार्क कहा जाने लगा है।
इस पार्क में सभी आयु वर्ग के लोगों को सुकून का अहसास हो, ऐसा प्रयास किया जा रहा है।
बच्चों के लिए झूले, भूलभुलैया और टेªक्टर से गुफाएं बनाई जा रही हैं। बुजुर्गों को भी यहां सुकून मिलेगा। बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए रैम्प भी होंगे। यहां लगाए जा रहे पौधों को भी खासतौर से चुना गया है। पौधे पर्यावरण हितैषी चुने गए हैं ताकि पौधों से किसी के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे। धरोहर संस्था पार्क का 10 साल तक रखरखाव भी करेगी।
नगर निगम के उपमहापौर पारस सिंघवी बताते हैं, स्वरूपसागर का यह किनारा कूड़ा-करकट से अटा पड़ा था। ऐसे हर स्थल को खूबसूरत बनाकर उदयपुर के प्राकृतिक सौन्दर्य को और भी आकर्षक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए शहर की ही संस्थाओं से आग्रह किया जा रहा है ताकि शहर के प्रति जनजिम्मेदारी की भावना का भी विकास हो।