निजी स्कूल फीस: सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से लाखों अभिभावकों में निराशा

Dr. CHETAN THATHERA
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Udaipur News। राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर राजस्थान के अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अभिभावक संघ ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखने और फीस एक्ट लागू कराने को लेकर संघर्ष जारी रखने का निर्णय किया है।

अभिभावक संघ ने इस फैसले पर निराशा व्यक्त की है। अभिभावक संघ के संयोजक हरीश सुहालका का कहना है कि कोरोना काल में अभिभावक ट्यूशन फीस ही नहीं चुका पा रहे हैं और हाईकोर्ट के फैसले से अभिभावकों को राहत महसूस हुई थी, लेकिन अब अभिभावकों को अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में और मजबूती से रखना होगा। हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से निजी स्कूलों को अपना हिसाब-किताब उनकी वेबसाइटों पर शो करने के भी आदेश दिए थे जो कि फीस एक्ट के तहत दिए गए थे, हाईकोर्ट के फैसले पर रोक से स्कूल अपनी फीस का विभक्तीकरण बताने के लिए बाध्य नहीं रह पाएंगे, इससे स्कूलों की पारदर्शिता पर सवाल बना रहेगा। अभिभावकों में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखने और अंतिम निर्णय तक फीस नहीं जमा कराने की चर्चा जोरों पर है।

सुहालका का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो अभिभावक फीस जमा नहीं करा पाएंगे उनके बच्चों को शिक्षा-परीक्षा और परिणाम से वंचित नहीं किया जाएगा। अभिभावक संघ फीस एक्ट को लागू करवाने के लिए प्रयासरत है। सभी समाधान व पारदर्शिता फीस एक्ट में निहित हैं। यदि फीस एक्ट लागू होता है तो निजी स्कूलों द्वारा अनर्गल लिए जाने वाले शुल्क सामने आएंगे और उनसे अभिभावक राहत पा सकेंगे। निजी स्कूलों का नुकसान हो, ऐसा कोई अभिभावक नहीं चाहता, लेकिन फीस की लूट रुके यह सभी चाहते हैं। फीस का एक्ट के अनुसार सटीक निर्धारण होना चाहिए। जरूरत होने पर धरना भी दिया जाएगा।

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान अभिभावकों ने फीस में रियायत की मांग की थी, इस पर राजस्थान सरकार ने रियायत दी थी, इसके बाद हाईकोर्ट ने भी पाठ्यक्रम के अनुसार ट्यूशन फीस का 60 व 70 प्रतिशत देने का फैसला दिया। इसके बाद निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सत्र के मुताबिक फुल फीस छह किस्तों मंे लेने का अंतरिम आदेश जारी किया। साथ ही, इस आदेश में यह भी कहा गया है कि जो फीस जमा नहीं करा सके उसे पढ़ाई व परीक्षा से वंचित नहीं किया जाए। 5 मार्च 2021 से छात्रों से सत्र 2019-20 में तय फीस के हिसाब से ले पाएंगे।

गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस इंद्रजीत महांती की खंडपीठ ने निजी स्कूल फीस विवाद मामले में अभिभावकों को राहत दी थी। कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस का 60 (आरबीएसई) व 70 (सीबीएसई) प्रतिशत ही फीस के तौर पर ले सकेंगे। साथ ही, फीस विभक्तीकरण को वेबसाइटों पर शो करने के आदेश भी दिए थे। हाईकोर्ट के इस आदेश पर प्राइवेट स्कूलों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुये अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। हालांकि, अभी अंतिम फैसला आना शेष है।

निजी स्कूलों ने कहा, राहत भरा फैसला

-निजी स्कूलों का कहना है कि फैसले से उन्हें राहत मिली है और आॅनलाइन कक्षाओं को मान्यता भी मिली है। लेकिन, फीस नहीं देने वालों को पढ़ाई-परीक्षा-परिणाम से वंचित नहीं कर सकने वाली बात पर वे अभी कुछ नहीं कह पा रहे हैं।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम