उदयपुर मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी से 12 करोड का सोना और 11 लाख नगद लूटने के दो आरोपी निंबाहेड़ा से गिरफ्तार

Sameer Ur Rehman
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उदयपुर । प्रताप नगर थाना क्षेत्र में सुंदरवास स्थित मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी में 29 अगस्त को पांच हथियारबंद बदमाशों द्वारा 12 करोड़ का सोना और 11 लाख नगद नकद लूटने के मामले में पुलिस ने बिहार निवासी दो आरोपी प्रिंस कुमार तथा फंटूश कुमार को चित्तौड़गढ़ के निंबाहेड़ा क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।

घटना के बाद बिहार भाग गए दोनों आरोपी राजस्थान में किसी अन्य वारदात के लिए रैकी करनी आए थे। पुलिस की टीम दोनों आरोपियों से वारदात में शामिल अन्य आरोपियों तथा लूटे गए सोने के जेवरात तथा नगद रुपयों की बरामदगी के लिए पूछताछ कर रही है।

आईजी उदयपुर प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि 29 अगस्त को सुंदरवास स्थित मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी में डकैती की वारदात पुलिस के लिए चुनौती बन गई थी। घटना का खुलासा करने के लिए सुरागरसी में माहिर चुनिंदा 64 पुलिसकर्मियों की एक विशेष टीम गठित की गई।

एसपी विकास शर्मा के सुपरविजन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रशील ठाकुर व सीओ शिप्रा राजावत के नेतृत्व में गठित इस विशेष टीम में एसएचओ दर्शन सिंह, रविंद्र चारण, संजय शर्मा व दिलीप सिंह शामिल है।

गठित टीम ने अपराधियों के घटनास्थल पर पहुंचने, वापस भागने, घटना से पूर्व आने-जाने के रास्तों का पता लगाने के लिए विभिन्न संभावित रास्तों पर लगे सीसीटीवी फुटेज एवं संभावित स्थानों की बीटीएस डिटेल का विश्लेषण किया। इस दौरान डबोक में टीम उस स्थान पर पहुंची, जहां आरोपी घटना से पहले किराए पर रह रहे थे। मकान में मिले सबूत जप्त कर आस-पड़ोस, मकान मालिक, दुकानदारों आदि से पूछताछ की गई। संदिग्ध मोबाइल नंबर का कॉल डिटेल प्राप्त किए।

अनुसंधान में आरोपियों द्वारा ग्रामीण रास्तों का प्रयोग कर नीमच, उज्जैन होते हुए दिल्ली पहुंचना और वहां से ट्रेन से पटना पहुंचना पता चला। एसएचओ दर्शन सिंह, रविंद्र चारण, संजय कुमार समेत टीम द्वारा बिहार कैंप कर स्थानीय पुलिस एवं मुखबिरों के सहयोग से आरोपी प्रिंस कुमार व फंटूश कुमार के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्राप्त की गई जानकारी में दोनों का किसी अन्य वारदात की रेकी के लिए वापस राजस्थान आना पता चलने पर गुरुवार को टीम ने निंबाहेड़ा से दोनों को अवैध हथियार सहित गिरफ्तार कर लिया।

स्टूडेंट बन किराए पर कमरा लिया, बैंक के सुरक्षा इंतजामों का अध्ययन कर नवीनतम तकनीक अपनाई दोनों आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि यह ग्रुप वारदात से करीब 15 दिन पहले बिहार से उदयपुर पहुंचा। फर्जी आधार कार्ड से स्टूडेंट बन कर किराए पर कमरा लिया। इन आधार कार्ड पर पश्चिम बंगाल के मालदा से सिम कार्ड जारी करवाई गई। वारदात से पहले घटनास्थल की रेकी कर सुरक्षा इंतजामों की विस्तार से स्टडी की। घटना स्थल में जीपीएस ट्रैकर, जैमर तथा वाईफाई कॉलिंग वॉयरलैस कम्युनिकेशन जैसे साधनों का इस्तेमाल किया गया।

पूर्व की विफलता से सीख लेकर वारदात को अंजाम दिया

इस गिरोह के लोग एक दूसरे के नाम और निवास से अनजान है। जानकारी के अनुसार पूर्व में उन्होंने 6 अगस्त को उड़ीसा के दिन ढेन्केनाल शहर में मणिपुर गोल्ड लोन कंपनी में वारदात का प्रयास किया। सायरन बजने से असफल हो गए। अपनी इस असफलता से सीख लेते हुए 29 अगस्त को उदयपुर की वारदात को अंजाम दिया।

ऐसे आए गिरफ्त में

इस पूरे ग्रुप की पहचान करने के लिए पुलिस की टीम द्वारा दो मुख्य कार्रवाई की गई। पहली सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा कर उनका विश्लेषण करना तथा दूसरी बिहार पुलिस के इंस्पेक्टर अलय तथा उनकी टीम के मदद से वारदात में शामिल बदमाशों को चिन्हित करना।
गठित टीम ने प्रताप नगर से चित्तौड़ रोड के सभी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को बिना रुके 24 घंटे तक देखा और संदिग्धों को चिन्हित किया।

संदिग्धों की पहचान करना बहुत बड़ा टास्क था, लेकिन टीम ने इसे पूरा किया। सीसीटीवी फुटेज और टेक्निकल मदद से आरोपियों के डबोक से प्रताप नगर आना पता चला। डबोक में इनके सेफ हाउस का पता लगा पूर्ण जानकारी हासिल कर इनके असली चेहरे चयनित किए गए। विस्तृत जांच में इनका बिहार से होना पता चला।

बिहार एसटीएफ के एसपी राजीव रंजन तथा इंस्पेक्टर अलय की मदद से इन दो अभियुक्तों को चिन्हित किया। उनकी तलाश में उड़ीसा, बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल टीमें भेजकर विभिन्न स्थानों पर रेड मारी गई। बिहार में 15 दिन और उड़ीसा में 7 दिन तक विभिन्न स्थानों पर लगातार दबिश दी गई।

नेपाल भागने की सूचना पर नेपाल पुलिस के सहयोग लिया गया। इस दौरान हाजीपुर पुलिस को सूचना मिली कि इनकी मूवमेंट राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में निंबाहेड़ा के आसपास है। इस सूचना पर निंबाहेड़ा से दोनों को टीम ने दबोच लिया।

सभी बदमाश एक दूसरे से अनजान है

आईजी प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि इन अभियुक्तों से इनके साथियों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है। ये भी अन्य अभियुक्तों के वास्तविक नाम व पते नहीं जानते।

फर्जी आधार कार्ड-सिम-पहचान पत्र बन रहे थे डेड एंड

इस केस में पुलिस के सामने हर कदम पर फर्जी आधार, सिम कार्ड व पहचान पत्र मिलना पुलिस के लिए डेड एंड बन रहा था। इस पर भी टीम जोर शोर से लगी रही। प्रत्येक लीड खत्म होने पर भी दिन रात एक कर पुलिस टीम ने इस वारदात का खुलासा कर दिया।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/