जर्जर होते पर्यटन निगम के होटलों की दरकती दीवारों की दास्तां प्रबंधन की नाकामी और निजी क्षेत्र से प्रतिस्पधा में पिछडऩे की उलझन को दर्शाती है। बीमार और बंद इकाइयों का भौतिक सत्यापन हो चुका है और इनके मूल्यांकन की रिपोर्ट आरटीडीसी प्रबंधन को सौंपी जा चुकी है
जर्जर होते पर्यटन निगम के होटलों की दरकती दीवारों की दास्तां प्रबंधन की नाकामी और निजी क्षेत्र से प्रतिस्पधा में पिछडऩे की उलझन को दर्शाती है। बीमार और बंद इकाइयों का भौतिक सत्यापन हो चुका है और इनके मूल्यांकन की रिपोर्ट आरटीडीसी प्रबंधन को सौंपी जा चुकी है। ऐसे में सरकार का बीमार या बंद इकाइयों को बेचने या पीपीपी पर देने का फैसला कर सकती है, जो अन्य चालू इकाइयों में जान फूंक सकता है।
पर्यटन निगम का समग्र घाटा 180 करोड़
पर्यटन निगम का गठन पर्यटकों को सस्ती और सहज सेवा देने के उद्देश्य से की गया था। लगभग ढाई दशक तक परंपरागत सेवा मुहैया कराने के बाद अब बीते एक दशक से पर्यटन निगम का ढर्रा खराब हो गया ह। निजी होटलों द्वारा दी जा रही आधुनिक सुविधा की तुलना में पर्यटन निगम के जर्जर होटलों से सैलानी अब इन इकाइयों से विमुख होने लगे हैं। प्रबंधन की नाकामी और प्रतिस्पर्धा में खुद को ढाल नहीं पाने से पर्यटन निगम की इकाइयां लगातार घाटे के दलदल में फंसती चली गई। अभी तक पर्यटन निगम का समग्र घाटा 180 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। पर्यटन निगम की चालू 27 में से 15 इकाई घाटे में चल रही हैं।
73 इकाइयों का सर्वे
दरकती दीवारें, उखड़ता प्लास्टर, अनुभवी स्टाफ का न होना और प्रबंधन का आधुनिक सोच या सुविधा के साथ तालमेल न रखना पर्यटन निगम के लिए भारी पड़ रहा है। ऐसे में सरकार ने पीडी कोर से पर्यटन निगम की 73 इकाइयों का सर्वे करवाया था।
सरकार का उद्देश्य किसी भी तरह से इन इकाइयों को चलाना था, लेकिन पीडी कोर की रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि 15 इकाई किसी भी सूरत में चलाई नहीं जा सकती। 11 इकाई ही चलाने योग्य हैं और शेष इकाई निजी सहभागिता, लीज या बेचान करने योग्य हैं। इसके बाद से ही सरकार ने तीन दशक तक पर्यटन निगम की लाइफ लाइन रहा बहरोड़ का मिड वे जल्द ही नीलाम करने का फैसला किया था। हालांकि इसके बाद प्रदेेश में सरकार बदल गई, लेकिन नई सरकार ने भी तीन श्रेणियोंं में पर्यटन निगम कीी इकाइयों का विभाजन कर निस्तारण का फैसला किया है।
15 इकाइयों को नीलाम करने का निर्णय
वर्तमान सरकार द्वारा इन इकाइयों का भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन करवाया गया। अब सरकार इस मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर इन इकाइयों का निस्तारण कर सकती है। . जिन इकाइयों पहले दौर में निस्तारण किया जा सकता है उनमें बहरोड, जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे का दौसा और महवा मिडवे शामिल है. धार्मिक स्थलों पर श्रृद्धालुओं को सस्ती और सहज सेवा देने वाले नाथद्वारा और सालासर के यात्रिका और पुष्कर के दोनों ट्यूरिस्ट विलेज भी इस सूची में शामिल हैं। दूर दराज के पर्यटनस्थल जिनमें मंडावा, गुलाबपुरा, पिंडवाड़ा, देवली, अलवर, रतनगढ़, शाहपुरा शामिल हैं। पर्यटन निगम की बीमार इकाइयों को बेचने, पीपीपी पर देने और कुछ को चलाने की तीन स्तरीय योजना को वित्त विभाग पहले ही मंजूरी दे चुका है।