Tonk News। संकटों के दौरान इंसान से मोहब्बत एक सहारा और उबरने का एक आस बनता है। फिरोज़ पढ़ाई के साथ-साथ विगत वर्षों से सक्रिय रंगमंच में भागीदारी ले रहे है और इसी में अपने आने वाले भविष्य की भी कल्पना करते है। फिरोज़ अभी राजस्थान के टोंक में रहकर राजकुमार रजक और अपने टोंक के साथियों के साथ कम्यूनिटी थिएटर टोंक में रंगमंच कर रहे है। इसी के साथ-साथ कहानियां, कवितायें और सामाजिक मुद्दों पर लेख भी लिखते रहते है।
जीवन के आस की कड़ी में रंगकर्मी फ़िरोज़ आलम की कविताओं का एक संकलन “मुख़्तलिफ़ अल्फाज़” शीर्षक के नाम से पुस्तक प्रकाशित हुई है जो की बेहद उत्सुकता की बात है। इस पुस्तक की ख़ासियत के बारे में फिरोज़ बताते है की यह पुस्तक दस लेखकों की अपनी-अपनी भावनाओं और स्मृतियों से मिलकर पूरी हुई है।
जिसमें, कक्षा बारह में पढ़ने वाली छात्रा अनुष्का गुप्ता जो की मऊ से हैं, अमीषा सक्सेना शाहजहाँपुर से जो की सिविल सेवा की तैयारियों में है और इसी के साथ-साथ कवितायें भी लिखती है, नेपाल के उलाबारी शहर से योगेश अग्रवाल जो की खुद का व्यापार करते है, मुक्त शैली में कवितायें लिखने वाले चिराग जग्गी जो दिल्ली से है और खुद का बिज़नेस करते है।
बैंगलोर की रहने वाली एकता पी. बठीजा जो की एक अध्यापिका है, खुद के पैरों पर खड़ी निकिता कुजूर एक बैंकिंग सेवा में कार्यरत है और जीवन की प्रेरणाओं से जूझकर कवितायें भी लिखती हैं, उत्तराखंड के गुरुकुल नारसन की रहने वाली शालू बिजलानी बतौर अभिनेत्री रंगमंच में सक्रिय है।
फरीदाबाद की रहने वाली सुरभि लिखना खुद के लिए एक ज़रिया मानती हैं, आशि जरीवाला बतौर छात्रा लेखन में भी अपनी रुचि रखती है और फिरोज़ आलम जो की टोंक में रहकर रंगमंच करते है, की कविताओं और शायरियों का संकलन है। इसे मांडा पब्लिशर और हेचएग पब्लिकेशन ने एक दूसरे के सहयोग से मिलकर प्रकाशित किया है। इस पुस्तक के संपादक गरिमा खंडेलवाल और सह-संपादक चर्चित खंडेलवाल है।
उम्मीद है की यह कविताएं आपके वैचारिकता में एक कड़ी बनकर आपके साहित्य जगत को सुसज्जित करेंगे। आप इस पुस्तक को पढ़े और अपनी समीक्षाओं, सुझावों से आगंतुक लेखक के मनोबल को सींचित करें। यह पुस्तक ऑनलाइन एमाज़ॉन, फ्लिपकार्ड और मंदा पब्लिशर के साइट पर उपलब्ध है।