Tonk/ रहस्य और रोमांच से भरपूर है टोडारायसिंह का ‘भूतों का मंदिर

liyaquat Ali
3 Min Read

टोंक जिले के टोडारायसिंह में स्थित ‘श्याम देवरा’ स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना है. अपने आप में कई कहानियां समेटे हुए इस मंदिर की पहचान ‘भूतों के मंदिर’ (ghost temple)के रूप में है. जनश्रुति के मुताबिक इसे भूतों का मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर से राजस्थान के प्रमुख संत पीपा जी महाराज का भी गहरा ताल्लुक रहा है।मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां भी प्रचलित हैं।

इसलिए है अधूरा है यह मंदिर

जानकारी के अनुसार प्राचीन समय में ऐतिहासिक महलों के प्रांगण में रात्रिकाल में भूतों की सभा का आयोजन किया जाता था। इस सभा में एक बार एक सिद्ध पुरुष ने आकर भूतों को दुष्ट योनी से छुटकारा दिलवाने के लिए यह मंदिर बनवाया था। इसलिए भी इस मंदिर को भूतों का मंदिर भी कहा जाता है. लेकिन भोर होने तक इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका इसलिए आज भी यह अधूरा पड़ा है।

संत पीपा जी की भक्ति का केन्द्र रहा है

टोडारायसिंह नगर राजस्थान के प्रमुख संत पीपा जी महाराज की तपोस्थली रहा है. इस मंदिर से भी उनका गहरा ताल्लुक रहा है. कहा जाता है कि पीपा जी यहां अराधना किया करते थे। संत पीपा महाराज अपने तपोबल से यहां और द्वारीकाधीश में एक साथ पूजा करते थे. एक बार आरती के दौरान अचानक उनके हाथ जले तो लोगों के पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी अभी द्वारिकाधीश मंदिर में पूजा के दौरान भगवान के पर्दे जल गए। उन्हें बुझाने में मेरे हाथ जल गए. तत्कालीन राजा ने घटनाक्रम, तारीख और समय नोट कर जब गुजरात में इसका पता करवाया तो बात सच निकली. तब से ही इसे पीपा जी का मंदिर भी कहते हैं।

मंदिर की‌ विशेषता

इस मंदिर का शिखर और गुम्बज नहीं है। मंदिर के पीछे विशाल बावड़ी है।मंदिर में काम लिए गए पत्थर पास ही स्थित तक्षक गिरी के हैं। मंदिर का मुख्य दरवाजा तिबारेनुमा है. मंदिर में काम लिए गए पत्थरों के यह विशेषता है कि उन पर कंकर मारने पर वह टंकारे जैसी आवाज निकालते हैं. जीर्ण शीर्ण मंदिर के सभी अवशेष आज भी मंदिर में मौजूद हैं।

Share This Article
Follow:
Sub Editor @dainikreporters.com, Provide you real and authentic fact news at Dainik Reporter.