Tonk news/(सुरेश बुंदेल)। टोंक जिले में मालपुरा कस्बा राजा मालदेव पंवार की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है, जहां राजस्थान के लौह पुरूष दामोदर लाल व्यास जैसी महान शख्सियत जन्म लेकर मालपुरा की धरती को धन्य कर चुकी है! बहुत कम लोग जानते हैं कि ये सरजमीं एक ऐसे शख्स की यौमे- पैदाइश का खुशनुमा अतीत है, जो बेहद सादा व्यक्तित्व होने के बावजूद अपनी काबिलियत और प्रतिभा के बलबूते हाईकोर्ट का जज भी बना और राजस्थान सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री भी रहा! लोग जिन्हें सैयद फारुख हसन के नाम से जाना जाता है!
राजनीतिक सफर की शुरुआत सवाई माधोपुर से
सैयद फारुख हसन सवाई माधोपुर जिले के पहले राजनेता हैं, जिन्हें राजस्थान मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिला। वे राजस्थान सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बने। हालांकि इससे पहले शिवचरण सिंह को सुखाड़िया मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल चुका था लेकिन वह सिर्फ उपमंत्री ही थे! फारुख हसन के बड़े भाई एवं पूर्व विधायक मरहूम आबिद अली के समय से ही जन समस्याओं में रूचि लेने लगे थे।
हसन ने अपना प्रथम विधानसभा चुनाव स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर लड़ा किन्तु उन्हें पराजित होना पड़ा। दूसरी मर्तबा सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र से उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के उसी प्रत्याशी को लगभग 8000 मतों से हराकर चुनाव जीता। 8000 मतों से विजय होना उस वक़्त बहुत बड़ी बात थी क्योंकि उस समय मतदाताओं की तादाद अधिक नहीं हुआ करती थी! हाईकोर्ट के जज भी रहे
1 जनवरी 1932 को मालपुरा में जन्मे हसन बहुत ही सादगीपूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्हें निर्भीक प्रवृत्ति का ईमानदार राजनेता माना जाता था।
उन्होंने मालपुरा से हाई स्कूल, जयपुर से बीए तथा अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्रियां प्राप्त की। हसन ने 1956 में सवाई माधोपुर से वकालत शुरू की। वे सवाई माधोपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे! उन्हें हॉकी और फुटबॉल का अच्छा खिलाडी माना जाता था! फारुख हसन राजस्थान हाईकोर्ट में जज भी रहे। वर्तमान में उनके पुत्र सैयद शाहिद हसन राजस्थान उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं तथा राजस्थान बार कॉउन्सिल के चेयरमैन हैं!