टोंक रत्न रामलाल चौधरी: गरीबी की कोख से जन्मी विद्वता की दिव्य प्रतिमूर्ति

Dr. CHETAN THATHERA
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Tonk /सुरेश बुन्देल। देवयोग से किसी व्यक्तित्व में सहजता, सरलता, पवित्रता, विद्वता, सादगी, आत्मसम्मान, सिद्धांत और सच्चाई के लक्षण मिल जाएं, उस व्यक्ति को इस ज़माने में अलौकिक करार दिया जाता है। यही लक्षण यदि उसके माता- पिता में भी परिलक्षित हों, तो उनकी वंशावली काबिल-ए-ज़िक्र और काबिल-ए-फ़ख्र बन जाती है। मामला यदि टोंक शहर के किसान (जाट) परिवार का हो तो रोमांच दोगुना हो जाता है।

तालकटोरे की पुरानी बस्ती में रहने वाले साधारण किसान शिवनारायण चौधरी और वृद्धि देवी के घर बालक रामलाल का जन्म 22 जून 1938 को हुआ। माता वृद्धि देवी अत्यंत धर्मपरायण, आतिथ्य सत्कार-सत्संग प्रिय और बेहद सच्ची महिला थीं। वहीं शिवनारायण मूलतः कृषक और पशुपालक होने के बावजूद संत प्रवृत्ति के पुरुष थे।

आर्य समाजी, योग दर्शन में रुचि एवं निर्गुण भक्ति का उपासक होने के कारण शिवनारायण जातिगत भेदभाव से जीवन पर्यन्त दूर रहे। शिवनारायण द्वारा लिखित पुस्तक ‘योग दर्शन’ के दो संस्करणों का प्रकाशन उनके पुत्रों द्वारा क्रमशः 1988 व 2018 में किया जा चुका है। शिवनारायण ने प्रजामण्डल से जुड़कर आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई, उनके साथी मांगीलाल दीवान, हरिनिवास अत्तार और रामनाथ चौहान थे।

अपने माता-पिता की चार संतानों में सबसे बड़े रामलाल को संस्कार विरासत में मिले। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बालक रामलाल का बचपन अभावों में बीता। दो कमरों वाला कच्चा घर और चिमनी की रोशनी होने के बावजूद रामलाल के पढ़ने का सिलसिला कायम रहा। वे घरेलू कामों में अपनी मां का हाथ बंटाते और समय मिलने पर पशुपालन में पिता का सहयोग भी करते थे।

माता-पिता के उत्साहवर्धन और पढ़ने के जुनून की वजह से रामलाल ने इण्टरमीडिएट परीक्षा (1958) अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। इसकी एवज में उन्हें वज़ीफ़ा भी मिला। उस वक़्त टोंक में डिग्री कॉलेज नहीं था, लिहाजा उन्हें जयपुर स्थित महाराजा कॉलेज में दाखिला लेना पड़ा। जहां 1960 में उन्होंने बीए की परीक्षा पास की। हालांकि बाद में उन्होंने एमए, एलएलबी, पत्रकारिता और सहकारिता में स्नातकोत्तर डिग्रियां भी हासिल की।

1961 में रामलाल चौधरी की तैनाती

अध्यापक पद पर निवाई के हाई स्कूल में हुई किन्तु तत्कालीन शिक्षाधिकारी से मतभेद हो जाने के कारण उन्होंने आत्मसम्मान से समझौता ना करते हुए नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

इस्तीफे के तत्काल बाद वे राज्य के सहकारी संघ में ‘सहकारी शिक्षा प्रशिक्षक’ के रूप में नियुक्त किए गए। 1970 से 1985 तक सहकारी प्रशिक्षण केंद्र में व्याख्याता, इसके बाद अनुसन्धान अधिकारी के ओहदे पर रहते हुए 1996 में रिटायर हुए।

उनके द्वारा लिखित सहकारी संघ में अनुसंधान गतिविधियों, विपणन, राजस्थान क्रेफिकार्ड योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और राज्य में पैक्स आदि विषयों के अध्ययन प्रतिवेदन प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त राजस्थान में सहकारी कानून, राजस्थान में पंचायत कानून, सहकारिता और अधिभार तथा राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम-2001 पुस्तकों के सहलेखन के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जा चुका है।

रामलाल चौधरी ने सहकारी निर्वाचन

निर्देशिका, पंचायत निर्वाचन निर्देशिका, सहकारी सेवा नियम, पैक्स/लैम्पस कर्मचारी सेवा नियम, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, महात्मा गांधी नरेगा एवं जनोपयोगी क़ानून पुस्तकें भी लिखीं। इनके द्वारा सहकारिता पर लिखे गए दर्जनों आलेख भारत की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और अनेक कार्यक्रम आकाशवाणी व दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुके हैं।

पुस्तकों और आलेखों के लेखन से फुर्सत पाकर रामलाल के कवि हृदय ने काव्य रचनाओं का ‘डायरी सृजन’ भी किया, जो 2019 में ‘सेतु- बंध’ पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो चुका है। गीत, संगीत, खेलकूद, भ्रमण के शौकीन रहे रामलाल चौधरी आज भी खादी के कपड़े पहनते हैं, जो उनके उसूलपसन्द होने की तगड़ी सनद है।

गौरतलब है कि रामलाल चौधरी की मित्रमंडली में उनके समान स्वभाव वाले मित्र रामरतन कोली, डॉ. श्याम प्रकाश थारवान, रामपाल महावर और जगदीश नारायण कुमावत के नामों का शुमार रहा, जिनका ज़िक्र गाहे-ब-गाहे किया जाता रहेगा।

सुरेश बुन्देल- टोंक @कॉपीराइट

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम