Tonk News (फ़िरोज़ उस्मानी)। देश के सैनिकों के लिए बातें तो बड़ी बड़ी की जाती है,लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इससे उलट है। ऐसा ही एक मामला टोंक के पीपलू तहसील के ग्राम अलीमपूरा के एक सैनिक केदारनारायन जाट के परिवार का सामने आया है।
इस सैनिक के परिवार पिछले पांच वर्षों से न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है। ज़िला प्रशासन इस पीड़ित परिवार को अपनी ही खातेदारी भूमि पर कब्ज़ा नही दिला पा रहा है।
शुक्रवार की रात को इस सैनिक केदारनारायन का सब्र का बांध टूट गया। अपनी मांग मनवाने के लिए सैनिक अपने परिवार के 2 दर्जन महिला, पुरुष व बच्चों के साथ टोंक में धरना देने आ गए।
प्रशासन को जब इसकी सूचना लगी तो टोंक के घंटा घर चौराहे पर पुलिस के भारी जाब्ते ने उन्हें रोक लिया।
इस पर सैनिक केदारनारायन अपने परिवार के साथ नगर परिषद के नीचे ही धरने पर बैठ गया। केदारनारायन जाट ने बताया कि वो देश की सुरक्षा के लिए सैनिक के रूप में जम्मू कश्मीर में कुलगावँ ज़िले के काजीकुंड तहसील में तैनात है।
पीछे से उसके परिवार को गांव के ही कुछ लोग प्रताड़ित कर रहे है। उसकी भूमि पर कब्जे की नीयत से उसको अपनी ही खातेदारी भूमि पर जुताई नही करने दी जा रही है। वर्ष 2015 से ही वो प्रशासन से मांग करता आ रहा है कि उसकी जमीन पर पत्थरगढ़ी कर भूमि का निपटारा किया जाए।
बावजूद इसके प्रशासन उसकी समस्या का निराकरण नही कर पा रहा है। कई बार वो धरना पर्दशन भी कर चुका है। वो अपनी ड्यूटी से छुट्टी लेकर आया हुआ है। उसके वापस ड्यूटी पर लौटने के बाद परिवार के लोग अपनी मांग को लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर है।
मजबूरन वो टोंक कलेक्ट्रेट में धरना देने के लिए टोंक पहुचा था, लेकिन पुलिस ने बीच मे ही उसे रोक दिया। मामले की सूचना लगने पर धरना स्थल पर टोंक तहसीलदार रामलाल मीणा पहुँचे।
एक घंटे की समझाइश के बाद तहसीलदार ने परिवार को आश्वासन दिया है कि उसके भूमि की नपत कर पत्थरगढ़ी कर दी जाएगी। आश्वासन मिलने के बाद सैनिक सहित पूरा परिवार अपने घर लौट गया।
अब देखना ये होगा कि जिला प्रशासन इस मजबूर सैनिक की फरियाद सुनता है, या एक बार फिर आश्वासन पर ही बात समाप्त होकर रह जाती है।