शिक्षिकाओं को कोब्रा सांपों के ख़ौफ

कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय सुनसान पड़ा होने से सांपों की सैरगाह बना स्कूल कक्ष से सांप को पकड़ा वन्यजीव प्रेमी तिवारी ने

Tonk News टोंक जिले के टोडारायसिंह उपखंड मुख्यालय स्थित राजकीय कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय सुनसान पड़ा होने के चलते कोब्रा सांपों का खुली सैरगाह बना हुआ है । लॉक डाऊन के बाद से सभी छात्रायें इन दिनों अपने-अपने घरों पर हैं, लेकिन यहां तैनात छात्रावास प्रभारी व अन्य शिक्षिकाओं को कोब्रा सांपों के ख़ौफ के बीच रहना पड़ रहा है ।

रविवार आज सवेरे भी एक कोब्रा सांप के रैंगते हुए विद्यालय के बीच चौक में आ जाने व बाद में खाली पड़े कक्षा कक्ष में में घुस जाने से वहां मौजूद शिक्षिकायें घबरा गयीं । शिक्षिकाओं द्वारा इस मामले की जानकारी टोडारायिंह वन चौकी तो दी गई तो उनके द्वारा साधनों का अभाव बताते हुए इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया ।

बाद में वॉर्डन ममला सिंगोदिया द्वारा इस मामले की जानकारी जिला मुख्यालय स्थित शिक्षा विभाग के एडीपीसी ओम प्रकाश तोषनीवाल को दिये जाने के बाद उन्होंने वन्यजीव प्रेमी व सर्प संरक्षण के कार्य में जुटे मनोज तिवारी से इस मामले में मदद मांगी, जिस पर टोंक से टोडारायसिंह पहुंचे मनोज तिवारी नें कुछ ही देर में कोब्रा सांप को अपने स्नैक बेग में क़ैद कर लिया ।

इस दौरान शिक्षिका अर्चना चौधरी के अलावा सर्प संरक्षण अभियान में स्वैच्छिक रूप से जुटे बंशीधर अग्रवाल भी मौजूद रहे । विद्यालय की वॉर्डन ममता सिंगोदिया ने बताया कि यहां पिछले 15 दिनों में कोब्रा सांप के भवन के भीतर आ जाने की यह तीसरी घटना है, ऐसे  में उन्होंने प्रचलित मान्यताओं के अनुसार नाग देवता को मनाये जाने के लिये दूध पिलाने का प्रयास किया, लेकिन कोई बात नहीं बनी और कोब्रा सांप वहीं बैठा रहा ।

मनोज तिवारी ने बताया कि लोग पुरातन मान्यताओं के चलते विभिन्न अवसरों पर कोब्रा सांपों को मनाये जाने के लिये उनके सामने दूध का प्याला रखते चले आ रहे हैं, लेकिन शोध से यह साबित हो चूका है कि कोई भी सांप या वे सरीसृप जिनकी कि जिव्हा दो भागों में विभक्त होती है, वह किसी भी तरह के तरल पदार्थ का सेवन नहीं कर सकते हैं ।

मनोज तिवारी ने बताया कि कोब्रा सांप विश्व सर्वाधिक 10 ज़हरिली प्रजातियों में शामिल है ठसे में उसके दंश का शिकार हो जाने पर तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंच चिकित्सक की राय लेते हुए एंटी वेनम लगवाना चाहिये अन्यथा दंश पीडि़त की जान को ख़तरा हो सकता है ।