Tonk News । मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान ( Maulana Azad Arabic Persian Research Institute ) के संस्थापक निदेशक साहिबजादा डॉ शौकत अली खान (Sahibzada Dr. Shaukat Ali Khan) के निधन पर अफसोस जाहिर करते हुए । संस्थान टोंक के निदेशक मुजीब अता आज़ाद ने कहा कि देश की जानी-मानी शख्सियत, इस्लामिक स्कॉलर साहिबजादा डॉ.शौकत अली खांन एक जिंदादिल शख्सियत, हरदिल अजीज,अदबी महफिलों की शान, सूफ़ी, आलिम, लेखक थे उर्दू अंग्रेजी भाषा के साथ अरबी फारसी के ज्ञाता थे उनके निधन से हमने एक उच्च कोटि के विद्वान को खो दिया है टोंक की तहसीब सभ्यता के लिए यह अपूर्णीय क्षति है।
मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान मैं डॉ शौकत अली खान योगदान
पूर्व में यह 1961 में राजस्थान ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट के टोंक जिला शाखा कार्यालय के रूप में एक एकल व्यक्ति स्टाफ साहिबजादा डॉ शौकत अली खान (Sahibzada Dr. Shaukat Ali Khan) की अध्यक्षता में संचालित होता था।
यह जिला शाखा कार्यालय मुख्य रूप से टोंक की तत्कालीन रियासत द्वारा स्थापित की गई ”सईदिया लाइब्रेरी” से प्राप्त 133 दुर्लभ पुस्तकों सहित कुल 3064 पांडुलिपियों के हस्तांतरण के साथ शुरू हुआ।
अरबी फ़ारसी भाषा व साहित्य के विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा दिनांक 04-12-1978 को ”निदेशालय अरबी फारसी शोध संस्थान” की स्थापना की गई। और साहिबजादा डॉ शौकत अली खान (Sahibzada Dr. Shaukat Ali Khan) इसके संस्थापक निदेशक थे।
वर्ष 1981 में इसका वर्तमान नाम ”मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अरबी फ़ारसी शौध संस्थान, टोंक” रखा गया।
वर्ष 1983 में अलवर, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, झालावाड़ के राजकीय पुस्तकालय एवं निजी संग्रहालयो से अरबी, फारसी, उर्दू के ग्रन्थों का ज़ख़ीरा इस निदेशालय में स्थानान्तरित किया गया।
यह संस्थान अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शोध संस्थान है। जहां देश-विदेश के शोधकर्ता शोध कार्य हेतु उपस्थित होते है। यह संस्थान अपने दुर्लभ व महत्वपूर्ण साहित्य के लिये विश्व प्रसिद्ध है एवं शोधकर्ताओं के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।