टोंक,। पशु विज्ञान केंद्र अविकानगर,टोंक द्वारा “पशुओं में विभिन्न रोगों का परंपरागत विधियों द्वारा उपचार” विषय पर ऑनलाइन पशुपालन प्रशिक्षण शिविर(Online animal husbandry training camp organized) का आयोजन किया गया। शिविर में केंद्र प्रभारी अधिकारी डॉ.मदन मोहन माली ने विषय विशेषज्ञ डॉ.वीरेंद्र पूनिया पशु चिकित्सा अधिकारी राजगढ़, चुरु व पशुपालकों का स्वागत किया। साथ ही पशुपालकों को शिविरों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
शिविर में डॉ.वीरेंद्र पूनिया ने पशुओं में होने वाले विभिन्न रोगों के परंपरागत उपचार की विधियां बताइ। पशुओं में अपच की समस्या होने पर सोंठ 30 ग्राम, लहसुन 30 ग्राम, अजवाइन 50 ग्राम, मीठा सोडा 50 ग्राम को गुड़ में मिलाकर खिलाने से आराम मिलता है।
पशु में थनैला रोग की स्थिति में ग्वारपाठा 250 ग्राम, हल्दी 50 ग्राम, चूना 20 ग्राम का पेस्ट बनाकर उपयोग करने से थनैला रोग से निजात पाई जा सकती है। पशु में दस्त होने पर सफेदा पेड़ के 100 ग्राम हरे पत्ते को पानी में उबालकर आधा लीटर पानी 3 दिन तक उपयोग में लिया जा सकता है।
पशु में आफरा की स्थिति में सरसों का तेल 1 लीटर, तारपीन का तेल 50 उस व 30 ग्राम हींग को मिलाकर पशु को पिलाना चाहिए। साथ ही पशु के मुंह में हरी लकड़ी बांधने से आफरा से निजात पाई जा सकती है।
इसी के साथ शिविर में विभिन्न बीमारियों के परंपरागत उपचार पर विस्तार से जानकारी दी गई। शिविर का संचालन केंद्र के डॉ.नरेंद्र चौधरी व डॉ. राजेश सैनी ने किया। शिविर में 30 पशुपालकों ने भाग लिया।