टोंक। टोंक जिले में लगभग 600 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी के मौसम में टमाटर (tomato ) का उत्पादन किया जाता है। किसानों के द्वारा प्राइवेट कंपनियों का बीज प्रयोग करने से लागत अधिक लगती है।
भारतीय बागवानी अनुसन्धान संस्थान बैंगलोर द्वारा विकसित प्रजाति अर्का रक्षक टमाटर के प्रथम पंक्ति प्रदर्शन कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों के खेत पर आयोजित किए जा रहे हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रए टोंक वनस्थली विद्यापीठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.डी.वी.सिंह ने बताया कि अर्का रक्षक प्रजाति के प्रथम पंक्ति प्रदर्शन किसानों के खेत पर लगाए गए है।
जिससे किसानों को इस प्रजाति की विशेषताओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हो सकेए अर्का रक्षक प्रजाति टमाटर की मुख्य बीमारी पत्ती मोडक़ विषाणु, जीवाणु झुलसा व अगेती धब्बे के प्रति प्रतिरोधी है तथा इसके फलों को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जिससे बाजार में किसानों को भाव भी अच्छा मिलता है।
अर्का रक्षक से किसानों की लागत में कमी आएगी तथा मुनाफा बढ़ेगा। कृषि विज्ञान केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ नरेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस किस्म के उपयोग से टमाटर उत्पादक किसान बाजार की प्रतिस्पर्धा में अधिक उत्पादन का लाभ इस मौसम में भी ले सकते हैं।
इस किस्म के फलों को सामान्य तापमान में 15.20 दिन तक आसानी से रख कर दूर.दराज़ के क्षेत्र में विक्रय के लिए अच्छी किस्म हैद्य इस किस्म में तीन बीमारियों से फसल में नुकसान कम होता है।
प्रगतिशील किसान बद्रीलाल कुमावत अम्बापुरा मालपुरा ने टमाटर की किस्म के गुणों के बारे में कहा कि यह निजी किस्म से कम कीमत में अच्छी किस्म हैए जिसको किसान कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से मंगाकर उत्पादन का लाभ ले सकते हैं।