पीपलू (ओपी शर्मा)। वन्यप्राणियों के पीने के पानी के लिए वन विभाग लाखों खर्च कर नाडी का निर्माण कराता है, लेकिन नाडी निर्माण ही विवादों में फंस गया है। सोहेला वन परिक्षेत्र प्लानटेशन चार मे आडा पहाड़ झरना वाली खोल व चितला आतरी पानी रोककर नाडी बनाई गई जबकि उक्त पानी धारी वाली नाडी वन क्षेत्र में भरती है जिससे पानी का बहाव क्षेत्र रोक दिया गया। वन विभाग के जिम्मेदार ने नियमों को ताक में रखकर दो नाडी का निर्माण कराया है।
दो नाडी का निर्माण जंगल के अंदर वन्य प्राणियों के पीने के लिए कराया गया है, लेकिन मजेदार बात तो यह है कि हरे भरे पेड़ों की ही बलि दे दी गई। विभाग द्वारा निर्माण कार्य में दर्जनों पेड़ खेजडी, खुमटा,धोक, देशी बबलू आदि राज्य पेड़ जेसीबी मशीन से उखाड़ फेंककर कटाई कराई गई है। सबूत मिटाने के लिए पेडों को आग लगाकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई व कई हरे भरे पेड़ों को स्थल से गायब कर दिया ताकि कोई सबूत न मिल पाए।
लाभ के लिए मजदूरों की जगह मशीनों से कराया काम
पूरे जिलेभर में पलायन रोकने के लिए जिला प्रशासन अनेक उपाय कर रहा है, ताकि स्थानीय मजदूर अन्य राज्य पलायन न करें। उन्हें गांव में ही रोजगार उपलब्ध हो सके, लेकिन वन विभाग के अधिकारी ने नियमों को ताक पर रखकर मजदूरों से कार्य नहीं कराकर जेसीबी मशीन व ट्रैक्टर से काम कराया। मजदूरों से काम कराया जाता तो मजदूरों को रोजगार मिलता, लेकिन अधिकारी अपने निजी फायदे के लिए मजदूरों की जगह मशीन से काम करा दिया गया।