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कविवर देवीलाल पंवार(दादा) की स्मृति में (एक शाम जवानों के नाम)कवि सम्मेलन
टोंक, (नि.स.)। माँ स्मृति संस्थान की ओर से स्व. कविवर देवीलाल पंवार(दादा) की पुण्यस्मृति में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (एक शाम जवानों के नाम)का दौर पुलिस लाईन परेड ग्राउंड छावनी टोंक में शुक्रवार देर रात चला, जिसमें पुलिस जवानों सहित आमजन ने काव्यरस का जमकर आनंद लिया।
कवि सम्मेलन का विधिवत रुप से शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला पुलिस अधीक्षक योगेश दाधीच, आईपीएस अधिकारी प्रशिक्षु एएसपी अजमेर अमृता सिंह, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार शर्मा, समाजसेवी मणिकांत गर्ग, कांग्रेस नेता दिनेश चौरासिया, पुलिस जवाबदेही समिति के जिलाध्यक्ष मनीष तोषनीवाल, रोहित कुमावत, राउमावि कोठीनाताम प्रधानाचार्य दिनेश शर्मा, इंजीनियर विष्णु दत्त बिदंल, डा.बी.एल.नामा, एडवोकेट महावीर तोगड़ा, भजन लाल सैनी, रमेशचंद काला, पं.पवन सागर, धनराज साहू, भगवान भंडारी, एडवोकेट शैलेन्द्र गर्ग, अनुराग गौत्तम, बेणी प्रसाद गुर्जर, गोपाल नटराज, रामवतार सिंगोदिया, भारत नरुका, डी.डी.गुप्ता, अजय नटराज, निपुण चौहान ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। कवि सम्मेलन का आगाज कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे संयोजक राष्ट्रीय कवि प्रदीप पंवार ने स्व.कविवर देवीलाल पंवार(दादा) की पुण्यस्मृति में ‘उन्ही का जीवन हमेशा आबाद रहता है, जिनके साथ माँ-बाप का आर्शीवाद रहता है…’ काव्य रस बहाया तो सबने दिल से तालियां बजाई। कवि सम्मेलन में माँ सरस्वती की वंदना जोधपुर के गीतकार दिनेश सिदंल ने की और दिनेश सिदंल ने श्रृंगार रस का आनंंद बिखरते हुए ‘कोई मेरी राहों में जब शूल बनाता चला गया, मैं पांवों को शूलों के अनुकूल बनाता चला गया’ व ‘हमने अपने दिल में ही खुद आग लगाई थी, मौसम बारुदी था और तुम दियासलाई थी’ सुनाकर वाहवाही लूटी। अन्र्तराष्ट्रीय शायर डा.जिया टोंकी ने माँ को याद करते हुए ‘कैसे कैसे दु:ख उठाएं उसने बच्चे पाल कर, सारे खुश है आज उसको आश्रम में डाल कर, चार बच्चे पाल कर माथे पर बल ना आएं है, एक माँ को चारो मिलकर भी रख न पाएं है’ सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। रावतभाटा के व्यंग्यकार लक्ष्मीदत्त तरुण ने ‘हम कितने खुशनसीब है, ऊपर वाले को एक मानते है, हम कितने बदनसीब है, ऊपर वाले की एक नही मानते है’ सहित कई पुलिस पर व्यंग्य सुनाकर तालियां बंटोरी। कोटा के हास्य कवि धर्मेन्द्र सोनी ने डेढ़ घंटे के काव्यपाठ में सबको हँसा-हँसा कर लौटपौट करते हुए ‘मोती बिखरेती चलती बेटी फूहार की, फूलों की पालकी में थी बिटिया बहार की, डोली उठाकर चल दिया बाबुल तो गैर की, कांटे थे नंगें पांव की बिटिया कहार की’ सुनाई। राष्ट्रीय कवि प्रदीप पंवार ने ‘हम बुरे हालात को भी खास समझ लेते है, मुंगफली खाकर भी काजूद्राक्ष समझ लेते है, हम हिन्दुस्तानी तो इतने भोले-भाले है साहब, बच्चे का नाम विकास रख कर ही, हो गया विकास समझ लेते है’ और देश वंदना करते हुए अपनी प्रसिद्ध रचना ‘सरहद के सुल्तान’ के माध्यम से ‘ये वतन मेरा ईमान, ये देश मेरा भगवान, इस मुल्क पर मैं कर दूं अपना सब कुर्बान, ये मेरा हिन्दुस्तान, ये अपना हिन्दुस्तान’ सुनाकर जवानों में देशभक्ति का संचार दौड़ा दिया। भीलवाड़ा के हास्य कवि महेन्द्र मतवाला ने ‘ये नेता अच्छे बुरे में भेद नही करता है, ये जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है’ सुनाकर श्रोताओं को हँसाया। उदयपुर के युवा कवयित्री सुरभि शर्मा ने वीररस सुनाते हुए ‘अरे मजहब पर मरने वालों, मौत तुम को भी आएंगी’ व काछोला के हास्य कवि प्रभु प्रभाकर ने ‘तितरी का पाछया छोरा तीतरी होर्या…’ सुनाकर तालियां पाई। कवि सम्मेलन में समापन पर एएसपी अवनीश कुमार शर्मा ने काव्यपाठ के माध्यम से व्यंग्य सुनाया और सभी का आभार व्यक्त किया।
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