टोंक(फ़िरोज़ उस्मानी)। टोंक ज़िला पुलिस कप्तान ने भ्रष्टाचार मामले में पकड़े गए पीपलू थाना कांस्टेबल कैलाश जाट को सस्पेंड तो कर दिया है,लेकिन पूरे मामले में अकेले सिपाही पर ही गाज गिरना समझ से परे है। जबकि पूरे मामले में फरार मुख्य सूत्रधार थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह गिल पर अब तक कोई कार्रवाई अमल में नही लाई गई है। शायद टोंक एसपी चुनाराम जाट कांस्टेबल कैलाश जाट के एसीबी को दिए बयान के बाद भी दोषी नही मान रहे है।
थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह गिल के आदेशानुसार ही कांस्टेबल कैलाश जाट चौथ वसूली कार्य को अंजाम दे रहा था। और थाना प्रभारी ही जमा की गई लाखो रुपया की भ्रष्टाचार राशि को आगे तक पहुंचाता था। फरार सीआई गिल को पकड़ने के लिए टोंक एसीबी की टीम जयपुर, कोटा, झालावाड़ सहित अन्य जगहों पर दबिश दे रही है। उसके बाद ही साबित हो पाएगा कि कितने और अधिकारी इस मामले में लिप्त है।
क्योंकि एक अकेला सीआई की इतने बड़े नेटवर्क चलाने की हिम्मत नही हो सकती है। एसीबी की ट्रेप कार्रवाई के दौरान कांस्टेबल की वाट्सएप्प से कराई गई सीआई गिल से बातचीत में साबित हो गया था कि भ्रष्टाचार की राशि का हिस्सा और भी आला पुलिस अधिकारियों में बंटता था। अब ये आला अधिकारी कौन है? और इन आला अधिकारियों तक एसीबी के हाथ पहुँच पाते है कि नही ये ज़रूर जांच का विषय है।