पुलिस के आठ थानों से होकर गुजर रही बनास की अवैध बजरी

liyaquat Ali
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बजरी के अवैध ट्रक गुजरते हुए

 

पीपलू (ओपी शर्मा)। किसी ने सही ही कहा है पुलिस से ना तो दोस्ती अच्छी ओर ना दुश्मनी ये कहावत चरितार्थ कर रहे है बरोनी थाना के बड़े साहिब जो बनास नदी में बजरी खनन पर लगी सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद कुछ बजरी खनन माफियाओं पर मेहरबानी रखते हुये अन्य बजरी माफियाओं पर कार्यवाही कर ईमानदारी का ढिंढोरा पीटकर शाबाशी लेने में लगे हुए है।

Grava ilegal de Banas pasando por ocho estaciones de policía.
बजरी स्टॉक से बजरी भरते ट्रक

राजस्थान में टोंक जिले से गुजरी रही बनास नदी की बजरी जयपुर, दिल्ली से लेकर हरियाणा तक अपना कुछ अलग ही महत्व रखती है, यहां की बजरी ने सरकार को राजस्व का लाभ पहुंचाने के साथ-साथ इससे जुड़े लोगों को राजनीति की सीढिय़ां भी चढ़ाई है तो वहीं कुछ सालों से बनास की बजरी खूनी संघर्ष का कारण भी बनी है।

बनास में बजरी निकालने के लिये खनिज विभाग द्वारा अधीकृत किये गये ठेकेदार द्वारा नियमों की पालना नहीं करने के चलते सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे बजरी के मामले पर कोर्ट ने आदेश जारी करते हुये खनिज विभाग को बजरी खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के आदेश दे दिये। जिसके बाद बजरी माफियाओं द्वारा अवैध बजरी खनन करने का सिलसिला शुरू हो गया। बजरी के अवैध खनन को लेकर बनास नदी से सटे गांवो के ग्रामीणों ने अवैध बजरी खनन के खिलाफ खुलकर धरना-प्रदर्शन कर अपनी बात रखी। यहां तक कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने संभागीय ओर जिला स्तरीय प्रशासनिक बैठकों में पुलिस प्रशासन, खनिज विभाग की मिली भगत से अवैध बजरी खनन का कारोबार चलने का भी आरोप लगाया गया।

खुल्लेआम लगे इस आरोपों के बाद प्रशासन ने बीच-बीच में छोटी-मोटी कार्यवाही करते हुये बजरी के वाहनों को पकड़ कर इतिश्री कर ली। लेकिन कोई बड़ी सफलता पाने में असमर्थ रहे। बजरी के अवैध परिवहन को रोकने के लिये टोंक के तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी प्रभाती लाल जाट ने एक मुहिम चलाई, जिसके दौरान वे आधी रात को भी मुखबीर की सूचनाओं पर मौके पर पहुंच प्रभावी कार्यवाही को अमल में लाते थे।

तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी की दिन-रात की कार्यवाही वाली कार्यशैली ने अवैध बजरी खननकर्ताओं में हडक़म्प मचा दिया था। लेकिन उनको टोंक से एपीओ कर इस ईमानदारी का इनाम दिया गया, उनके जाते ही फिर से बजरी माफियाओं के हौंसले बुलन्द हो गए। कुछ महिनों पहले जिला प्रशासन द्वारा आरएसी के जवानों की एक टीम कोटा से बुलाई गई, जिसके द्वारा बनास नदी में हो रहे अवैध बजरी के कारोबार पर रोक लगाने के जिला प्रशासन की ओर से मजबूती से दावे किये गये थे।

प्रशासन द्वारा लाख कोशिश के बाद भी आज तक बजरी माफिया बनास नदी से अवैध बजरी का खनन कर टोंक से जयपुर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर पडऩे वाले करीब आठ पुलिस थानो को पार कर बजरी का अवैध परिवहन करने में सफल हो रहे है। इन दिनों टोंक की बनास से जयपुर परिवहन हो रही बजरी को रोकने के लिये बरोनी पुलिस थाना में नए आये पुलिस थाने के सामने से गुजर रहे राष्ट्रीय राजमार्ग १२ पर नाकाबंदी लगा अवैध बजरी परिवहन करने वालो के इंतजार में बैठे रहते है, लेकिन बरोनी थाना पुलिस की इस नाकाबंदी से सजग होकर बजरी माफिया तू डाल-डाल ओर मैं पात-पात की तर्ज पर चलते हुये बरोनी थाना से निवाई तक पास के गांवो के कच्चे रास्तों से होकर जयपुर बजरी परिवहन कर रहे है। ओर ये किन-किन रास्तों से बजरी परिवहन करते है ये  थाने के नीचले पूरे पुलिस स्टाफ को जानकारी में है लेकिन वे इस ओर कोई कार्यवाही करने में दिलचस्पी नही दिखा रहे।

अगर कार्यवाही भी करते है तो मात्र दिखावात्मक करते है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बरोनी थाना पुलिस के अपने चहेते बजरी खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाते हुये अन्य अवैध बजरी खननकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही करने में जोरशोर से लग अपने महकमें के शाबाशी लेने में लगे है। लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है ये साहिब जिसे चाहे उस बजरी माफिया के वाहनों को रोक कागजों की कमी बताते हुये मामला अपने थाने में रख लेते है ओर जिसे चाहे उसे बजरी खनन का मामला बता खनिज विभाग को सौंप देते है,

क्या इसे बजरी के अवैध परिवहन को रोकने की कार्यवाही कहते है? क्या इसी तरह बजरी के अवैध परिवहन पर लगाम लग पायेगी। सर्वविदित है कि यदि कानून की पालना पुलिस द्वारा दिल से की जाए तो क्या मज़ाल की कोई अवैध बजरी का परिवहन करता हुआ वाहन थाने के क्षेत्र से निकल जाये।

 

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