टोंक। टोंक जिले (Tonk district ) में अधिकांशत: किसान मूंग, उड़द, बाजरा, तिल, गेहूँ व सरसों की खेती करते हैं। परम्परागत फसलोत्पादन से किसान को कम मुनाफा प्राप्त होता है। टोंक जिला कोटा व जयपुर के मध्य स्थित है ।
यहाँ पर किसानों के लिए बागवानी के क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा फसल विविधिकरण के तहत किसानों के यहाँ पपीता (papaya) पर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाए गये हैं।
कृषि विज्ञान केन्द्र, टोंक, वनस्थली विद्यापीठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.डी.वी.सिंह ने बताया कि जिले में बागवानी क्षेत्र की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुये किसानों के यहाँ पपीता पर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाए गये है।
पपीता की रेड लेडी किस्म के पौधे तैयार करके 2&2 मीटर के अन्तराल पर अगस्त माह में प्रतिरोपण किये गये है। पानी की बचत करने हेतु बूँद-बूँद सिंचाई विधि का प्रयोग किया गया है जिससे पौधों में तना गलन रोग से बचत हुई है साथ ही पानी की बचत भी हो रही है। प्रदर्शन में अन्त: फसल में गेंदा की खेती करके किसानों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो रहा है।
जिले में बागवानी का क्षेत्र बढ़ाया जाए इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र निरंतर कार्य कर रहा है। साथ ही समय की मांग के अनुसार विभिन्न नवीनतम तकनीकियों को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। कृषि विविधिकरण ही एक मात्र उपाय है जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इसी दिशा में कृषि विज्ञान केंद्र बागवानी पर अतिरिक्त ध्यान केन्द्रित कर रहा है।
केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ नरेश कुमार अग्रवाल ने पपीता के प्रदर्शन के बारे में बताया कि मिट्टी की जांच के आधार पर समय-समय पर पोषण हेतु खाद एवं उर्वरक प्रबंधन तथा कीट रोगों की रोकथाम के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पपीते की किस्म 9-10 माह में व्यावसायिक फल उत्पादन देती है। यह प्रदर्शन टोंक जिले में निवाई, मालपुरा ब्लॉक में लगाए गये हैं जिससे किसानों को कृषि विविधिकरण से अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त होगा।