टोंक। जिले में मधुमक्खी पालन को बढावा देने के लिए उद्यान विभाग की ओर से जिला मुख्यालय के आत्मा प्रशिक्षण हॉल में दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के 200 किसानों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण के मुख्य अतिथि संयुक्त निदेशक उद्यान, खण्ड जयपुर के देवेन्द्र चौधरी ने कृषकों को उच्च उद्यानिकी तकनीकियों के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया, ताकि किसान अपनी आमदनी बढाकर आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में बढ़ती आबादी एवं सीमित संसाधनो के कारण रोजगार की समस्या, कृषि लागत में निरन्तर वृद्धि एवं कृषि जौत का आकार कम हो रहा है। किसान मधुमक्खी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी व रोजगार को बढा सकते हैं।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक के के मंगल ने कहा कि जिले में सरसों का क्षेत्रफल लगातार बढ रहा है। किसान मधुमक्खी पालन कर जिले में सरसों का उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत बढा सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में नागौर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेश खींची ने मधुमक्खी पालन से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी कृषको को दी।
साथ ही जिले के मधुमक्खी पालन से जुड़े प्रगतिशील कृषक किसन लाल, भरत चौधरी, गिर्राज मीणा एवं राम अवतार ने मधुमक्खी पालन को लेकर अपने अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजेन्द्र कुमार सामोता ने कृषकों को मधुमक्खी पालन एवं अन्य उद्यानिकी योजनाओं के तहत देय अनुदान की विस्तार से जानकारी दी।
साथ ही आत्मा के परियोजना निदेशक रामप्रसाद मीणा, संतरा हरतवाल, कृषि अधिकारी कजोड मल गुर्जर, रामअवतार गुर्जर, सुरेश विजय, दुर्गाशंकर माली, सांवरिया माली, कृषि पर्यवेक्षक सुरेश कुमार भारतीय आदि प्रशिक्षण में उपस्थित रहे।
उद्यान विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन के लिए अनुदान देय
उद्यान विभाग के उपनिदेशक ने बताया कि मधुमक्खी प्रजनको द्वारा उत्पादित मधुमक्खी की श्रेष्ठ कॉलोनियों से मधुमक्खी पालन को बढावा देने के लिए 8 फ्रेमों वाली प्रति कॉलोनी की लागत 2000 रुपये एवं मधुमक्खी पालन बॉक्स की लागत 2000 रूपये का 40 प्रतिशत अनुदान देय हैं।
एक लाभार्थी को अधिकतम 50 कॉलोनी एवं 50 मधुमक्खी बॉक्स पर अनुदान देय है। इच्छुक कृषक ई-मित्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर योजना के तहत अनुदान का लाभ प्राप्त कर सकते है।