टोंक में ड्रिप सिंचाई, सौर ऊर्जा एवं संरक्षित खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने का बनी जरिया,शाहिद, भवंरलाल और लड्डू लाल ने दूसरे किसानों को भी दी आधुनिक खेती अपनाने की सलाह

Sameer Ur Rehman
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टोंक। आज किसानों का परम्परागत खेती को छोड़कर हाईटेक खेती की तरफ रुझान होता जा रहा है, ऐसी ही एक कहानी है एक पढे लिखे किसान की जिसने इंजीनियरिंग की पढाई करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की माईक्रोसाफ्ट जैसी कंपनी में अच्छे वेतन की नौकरी छोड़कर खेती को रोजगार के रूप में अपनाया।

Drip irrigation, solar energy and protected farming in Tonk became the means of increasing the income of the farmers,
उनियारा उपखण्ड के ककोड़ कस्बे के किसान शाहिद ने पपीते की खेती कर इसकी शुरूआत की। शाहिद ने सबसे पहले वर्ष 2019-20 में उद्यान विभाग से सलाह लेकर हाईटेक तकनीक से पपीते की खेती की शुरुआत की। इसके लिए राजहंस नर्सरी देवड़ावास से पपीते की ताइवान किस्म के पौधे लाकर लगभग 1.5 बीघा क्षेत्रफल में खेत पर लगाएं। पानी की बचत एवं अच्छी पैदावार के लिए ड्रिप सिंचाई संयंत्र एवं मल्च लगवाकर खेती करना शुरु किया। पपीते के पौधो में 5 माह के अंदर फल आना प्रारंभ हो गया व प्रति पेड़ 60-70 किलोग्राम फलों का उत्पादन एक वर्ष में प्राप्त हुआ। शाहिद को एक वर्ष के अंदर लगभग 3.00 लाख रुपये की आमदनी 1.5 बीघा जमीन से प्राप्त हुई। आज शाहिद पपीते की हाईटेक खेती से परम्परागत खेती की अपेक्षा 3-4 गुना अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहा है, जो खेती को रोजगार के रूप में अपनाने वाले युवाओं के लिए एक मिसाल है।

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इसी तरह टोंक जिले की तहसील पीपलू के ग्राम बगडवा के किसान भंवरलाल को परम्परागत खेती से बहुत कम पैदावार एवं आमदनी होती थी। जिससे परिवार का जीवन यापन बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा था। ऐसी स्थिति में भंवरलाल ने कुछ नया करने की दिशा में कार्य करने की ठानी। अधिक उपज और आमदनी प्राप्त करने के लिए उद्यान विभाग की नवीनतम तकनीकियों को अपनाया। सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता कम होने के कारण वर्षा जल संग्रहण के लिए एक फार्म पौण्ड का निर्माण करवाया एवं सिंचाई के लिए बून्द-बून्द सिंचाई तकनीक का उपयोग किया। उच्च उद्यानिकी तकनीक संरक्षित खेती कार्यक्रम के तहत 4 हजार वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस का निर्माण करवाया।

ग्रीन हाउस से होने वाली पैदावार से लगभग 7 लाख रूपये की इनकम भंवरलाल को प्रतिवर्ष प्राप्त हो रही है। सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र का उपयोग कर प्रतिवर्ष लगभग 50 हजार रूपये डीजल पर होने वाले खर्च को भी कम किया। वर्तमान में उद्यान विभाग की तकनीकों एवं भंवरलाल के परिश्रम के कारण अधिक पैदावार होने से उसकी आमदनी भी अधिक हुई हैं। जिससे भंवरलाल के परिवार के जीवन स्तर में अत्यधिक बदलाव एवं सुधार हुआ है। भंवरलाल दूसरे किसानों को भी इन तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

तहसील उनियारा के ग्राम चैनपुरा निवासी किसान लड्डू लाल ने सिंचाई के लिए विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से हो सके इसके लिए आत्मनिर्भर बनने के लिए सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र लगवाने के लिए उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली। लड्डू लाल ने बताया कि वर्तमान समय में डीजल की दरों में प्रतिदिन काफी बढोतरी हो रही है। जिससे किसानो को अपना कृषि कार्य करने में लागत अधिक व मुनाफा कम होने से कृषि के प्रति रूझान कम हो रहा है। किसानो को अपनी फसलो की सिचाई के लिए डीजल की आवश्यकता होती है।

किसान लड्डू लाल मीणा ने उद्यान विभाग के द्वारा दी गई सलाह के अनुसार सौर उर्जा पंप सयंत्र लगवाया जिससे आज उनकी जिन्दगी में खुशहाली आ गई है। लड्डू लाल बताते है, बिजली व डीजल इंजन से उनकी खेती की लागत बढ़ रही थी व आमदनी घट रही थी। वह सालाना 20-25 हजार रुपये का डीजल लाकर खेतो की सिचाई करते थे, जो उनके लिए बहुत महंगा पड रहा था। आज उनके द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र अपनाने से बिजली व डीजल की लागत शून्य हो गई है। साथ ही सिंचाई भी दिन के समय में आसानी से हो रही है।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/