टोंक जिले में कभी वर्ष पर पानी से भरे रहने वाले जल स्रोतों के अस्तित्व को धीरे धीरे ख़तरा पैदा होता नज़र आ रहा हो लेकिन आज भी प्राकृतिक जल वाले ये जलस्रोत अपनी जैव विविधता के चलते देशी व विदेशी परिंदों के लिये स्वर्ग साबित हो रहे हैं.जी हां हम बात कर रहे है 2 फरवरी को वर्ल्ड वेट लेंड डे (World Wet Lend Day) पर किये जाने वाले बर्ड सेंस की जिससे पता चलता है कि वे जल स्रोतों जैव विवधता की दृष्टि से कितने समृद्ध हैं.
अगर हम बात करें बीसलपुर बांध जैसे बड़े जलस्रोत वाले टोंक जिले की तो यहां काफी बड़े भराव क्षैत्र वाले बांधों के विपरित कम क्षैत्र वाले जलस्रोत अपनी जैव विविधता की दृष्टि से देशी विदेशी परिंदों की पहली पसंद बने हुए हैं.ग़ौरतलब है कि यहां टोंक-देवली एनएच 52स्थित भरनी गांव का तालाब इस बार भी जिले का सबसे अच्छा वेट लैंड साबित हुआ है.
यहां वन विभाग,पक्षी विशेषज्ञों व एक ग़ैर सरकारी संस्थान दादू दयाल पर्यावरण संस्थान द्वारा बीते पूरे दिन किये गये बर्ड सेंसस में ना सिर्फ 25से अधिक प्रजाति वाले सैंकड़ो पक्षी देखने को मिले बल्कि यहां चीन,मंगोलिया व तिब्बत जैसे हिमालय पार के देशों से हज़ारों किलोमीटर की दूरी उड़ कर भारत की ओर आने वाला पक्षी ग्रे लैग्ड गूज़ भी बड़ी संख्या में यहां अठखेलियां करते नज़र आये है.
पक्षी प्रेमियों व उनके अध्ययन में रूचि रखने वाले पक्षी विशेषज्ञों की माने तो अभी तक गूज़ पक्षी की यह प्रजाति भरतपुर के केवला देव पक्षी अभ्यारण्य के अलावा जयपुर के बरखेड़ा गांव के तालाब पर ही अपने प्रवास काल नज़र आती रही है लेकिन इस बार बड़ी संख्या में भरनी के तालाब में इनका दिखायी देना इस बात का संकेत है कि ये पक्षी अब अपने लिये नये ठिकाने भी तलाश करने लगे हैं.
पक्षी विशेषज्ञ बताते हैं कि जहां अन्य कई प्रवासी पक्षी सुरक्षित प्रजनन स्थल व बर्फबारी की अवधि के दौरान सूदूर के देशों में होने वाली इनके भोजन की कमी के चलते यहां आते हैं वहीं इस गूज़ प्रजाति के पक्षी सिर्फ प्रजनन काल में अपने अपने ठिकानों को लौट जाते है.
यहां सेंसस के दौरान नदर्न शॉवलर,पॉचार्ड,स्पॉट बिल्ड डक,रेडी शेल्डक,नॉब बिल्ड डक के अलावा अन्य कुछ ओर भी प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में देखने को मिले हैं.जिले उप वन संरक्षक भी इतने छोटे से जल स्रोत में मिली देशी विदेशी परिंदों की इतनी प्रजातियों को लेकर ख़ासे उत्साहित नज़र आये हैं.उनका कहना है कि जल्द ही इस तालाब की जैव विविधता बनाये रखने के लिये जिला स्तर पर प्रयास शुरू किये जायेगें.
देवेंद्र भारद्वाज-सेवा निवृत आईएफएस व पक्षी विशेषज्ञ,जयपुर (ये बहुत ख़ुशी की बात है कि यहां इतनी बड़ी संख्या में ग्रे लैग्ड गूज़ देखने को मिली है.मैं इनकी उपस्थिति से बहुत उत्साहित हूं.अभी तक ये भरतपुर के केवला देव व जयपुर के बरखेड़ा गांव के तालाब में ही बड़ी संख्या में आती रही हैं लेकिन यहां इनकि उपस्थिति बताती है कि यहां कि जैव विविधता व भयमुक्त वातावरण इनको ख़ासा रास आ रहा है.
यहां वेट लेंड की सभी ख़ूबियां मौजूद हैं.) एस.के.रेड्डी-उप वन संरक्षक,टोंक (वर्ड वेट लैंड के संदर्भ में बर्ड डे सेंसस किया है.इसमें पक्षी प्रेमी,नेचर लवर व एनजीओ शामिल हुए हैं.यहांं पक्षियों की इतनी प्रजातियों की मौजूदगी बताती है कि यहां वेटलेंड की सभी ख़ूबियां मौजूद हैं.यगां ग्रे लैग्ड गूज़ का मिलना हमारे जिले के लिये अच्छा संकेत है.
हम पर्यटन की दृष्टि से इसके सरंक्षण के प्रयास करेगें.) मनोज तिवारी-प्रकृति प्रेमी (भरनी का तालाब देशी विदेशी परिंदों का स्वर्ग कहा जा सकता है.यहां वर्ष में लगभग 8माह मौजूद रहने वाले छिछले पानी में इनके लिये पर्याप्त भोजन मौजूद है.पीपलू के तालाब के बाद यह दूसरा ऐसा तालाब है जहां इतनी अधिक प्रजाति के देशी विदेशी परिंदे यहां नज़र आ रहे हैं.
इस बार ग्रे लैग्ड गूज़ की इतनी बड़ी संख्या वाक़ई उत्साह जनक है.इसके विपरित सरोली व नया गांव रानीपुरा के तालाब में परिंदों की कमी बताती है कि वहां की जैव विविधता ख़तरे में है.विगत वर्ष डिग्गी के तालाब में जिले का शुभंकर पक्षी बार हैडेड गूज़ भी बड़ी संख्या में नज़र आया था.) महावीर मीणा-शिक्षक व प्रेरक-दादू दयाल पर्यावरण संस्थान (हमने यहां विश्व नम दिवस मनाया.
यहां विद्यार्थियों को लाकर उन्हें पक्षियों की प्रजातियों व उनके बार में जानकारी दी.विद्यार्थी इतने रंग बिरंगे पक्षियों को देख काफी उत्साहित हुए हैं.वे अभी तक यहां रहते हुए भी अभी तक इन पक्षियों से अपरिचित थे.)