टोंक,। बैंक ऑफ बड़ौदा के संयोजन में टोंक में गठित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की सातवीं छमाही बैठक का आयोजन गृह मंत्रालय में राजभाषा (कार्यान्वयन) विभाग के उपनिदेशक कुमार पाल शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार को किया गया।
अध्यक्ष ने सदस्य कार्यालयों की छमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की और अपने मार्गदर्शी वक्तव्य में मातृभाषा के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन तथा अपना कार्य हिन्दी में करने के लिए कहा।
इस कार्यक्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा का वर्ष 2022-23 का भाषा सम्मान पुरस्कार टोंक के राजकीय पीजी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनु शर्मा को प्रदान किया गया।
बैठक में स्थानीय साहित्यकार मनु शर्मा, बैंक ऑफ बड़ौदा क्षेत्रीय कार्यालय के उपक्षेत्रीय प्रमुख मोअज्ज्म मसूद, बैंक ऑफ बड़ौदा अंचल कार्यालय से मुख्य राजभाषा प्रबंधक सोमेन्द्र यादव, समिति के अध्यक्ष एवं एलडीएम वीरेन्द्र यादव, सदस्य सचिव ज्योति अग्रवाल एवं सभी सदस्यों के कार्यपालक और राजभाषा प्रभारी उपस्थित रहे।
जिला कलेक्टर ने मंडावर में सार्वजनिक नाडी खुदाई कार्य का निरीक्षण किया
टोंक। टोंक जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने ग्राम पंचायत मण्डावर में मनरेगा योजना के तहत चल रहे सार्वजनिक नाडी खुदाई कार्य का निरीक्षण किया।
उन्होंने मनरेगा स्थल पर तकनीकी कार्मिकों को श्रमिकों को निर्धारित कार्य आवंटन और समूह में श्रमिक नियोजित करने के निर्देश दिए। साथ ही जॉब कार्ड अपग्रेडेशन तथा एनएमएमएस द्वारा नियमित हाजिरी किये जाने के निर्देश दिये। जिला कलेक्टर ने ग्राम पंचायत मंडावर में मनरेगा योजना के तहत अपूर्ण कार्यों को अति शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश भी दिये।
उन्होंने मंडावर के ग्राम विकास अधिकारी को ग्राम पंचायत में लंबित 150 पट्टों को तुरंत वितरित करने के निर्देश दिये। जिला कलेक्टर ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मंडावर के खेल मैदान का निरीक्षण करते हुए खेल मैदान से अतिक्रमण हटाने तथा बास्केटबॉल ग्राउंड तैयार करने को लेकर भी निर्देशित किया। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र में साफ-सफाई एवं बाल उद्यान विकसित करने को कहा।
अविकानगर में ऑनलाइन पशुपालक प्रशिक्षण शिविर आयोजित
टोंक। राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा शुक्रवार को अविकानगर मालपुरा में पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग की रोकथाम एवं उपचार विषय पर ऑनलाइन पशुपालक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया।
केंद्र के डॉ. रोहित कुमार तिवाड़ी ने बताया कि यह रोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी में देखने को मिलता है एवं इस रोग के निम्न लक्षण होते है जैसे-पशु के मुंह और खुरों में घाव बन जाना, बुखार आना, मुंह से लार टपकना, आंखों व नाक से पानी आना आदि।
शिविर में पशुपालकों को इस रोग के उपचार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह रोग मुख्य रूप से मौसम में बदलाव होने से पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने से होता है। इस बीमारी के उपचार के लिए घावों पर लाल दवा का उपयोग करें तथा पशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक दवाइयों का इस्तेमाल कर उनका टीकाकरण करना चाहिए।