टोंक (हरि शंकर माली)। टोंक जिले में उद्यानिकी फसलों के अच्छे उत्पादन के आसार नजर आने लगे हैं। टोंक जिले में चीकू का हब बनने की ओर अग्रसर है । चीकू एन्टी वायरल, एन्टी बैक्टीरिया होने के साथ केंसर, डायरिया,बवासीर, सर्दी-जुकाम,पथरी की रोकथाम में काम मे लिया जाता है।
मैक्सिको के बाद भारत में खेती बहुत की जाती है, अब ये राजस्थान और टोंक जिले की अरावली पहाड़ियों में उपजने लगा है। आबोहवा रास आने से यहाँ चीकू की फसल होने लगी हाई । चीकू की फसल मेहनत से पूरा हो रहा हैं पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभु लाल सैनी के इस दिशा में किए अभिनव प्रयास यहाँ रंग दिखाने लगे हैं। टोंक जिले के आंवा के साथ देवड़ावास सहित अन्य गांवों में जैतून,खजूर, सहजना, आम इत्यादि के साथ चीकू की खेती के चमत्कारी परिणाम सामने आने लगे हैं। नवाचारों और अनुसन्धानों पर कृषक बनकर सैनी स्वयं प्रयोग करने में जुटे हैं।
इन खेतों में इनमें गज़ब के फलोत्पादन को देखकर हर कोई अचम्भित है। किसानों में इन नकदी फसलों के प्रति रुझान बढ़ा है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जिले की आबो हवा, जलवायु और वातावरण इनके अनुकूल होने से ये किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा जरिया हो सकता है। यहाँ का तापमान, वर्षा, आद्रता, मिट्टी और पानी इन्हें रास आने लगे हैं। कभी बंजर और ऊसर मानी जानी वाली जमीन पर लहराती उद्यानिकी फसलें अपना सौंदर्य बिखेर रही है।
मिठास भरे चीकूओं की बेहतर किस्म, गुणवत्ता, और स्वाद के फल चर्चा के कारण बने हैं। हैरत की बात ये है कि इसमें बेमौसम भी फल आ रहे हैं, जिन्हें जून तक पूरी तरह पक जाने की उम्मीद है। कम लागत, कम मेहनत के बावजूद अच्छा मुनाफ़ा कमाने से इस फसल से किसान की आय में वृद्धि होने के कयास लगाए जा रहे हैं।इसे जंगली जानवरों से भी नुकसान पहुंचाने का ख़तरा कम है। नवाचार अपना कर जिले का किसान भी इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
इसकी मांग भी भरपूर हैं
एक नया मार्केट भी विकसित हो सकता है। जानकारों के अनुसार अगर आप अपने शरीर को सुडौल बनाना चाहते हैं, ग्रोथ बढ़ाना चाहते हैं स्वस्थ और तंदुरुस्त रहने के साथ खूबसूरत दिखना चाहते हैं तो अपनी डाइट में चीकू को अवश्य शामिल करें। इधर, कृषि वैज्ञानिको और अधिकारियों का कहना है कि चीकू में मिठास के साथ पोष्टिकता का खजाना भरा पड़ा है। कृषि अधिकारी राशिद खान, निरंजन सिंह राठौड़ और शिवराज जांगिड़ ने जानकारी दी कि चीकू के फल थोड़े लम्बे, गोल आकृति लिए होते हैं। फेट की मात्रा नगण्य होने के साथ पचने में सुगम होने से ये कोलेस्टॉल मुक्त भी माना गया है, जो उच्च रक्त चाप, हाइपर टेंशन व हृदय रोगियों के लिए भी उपयोग में लिया जा सकता है।
इसे दांतों में केबिटी लगने से रोकने वाला, एनीमिया ओर माउथ अल्सर में रामबाण और आंतों को मजबूत करने वाला माना गया है। इसका सेवन बाल और त्वचा के सौंदर्य निखार में चमत्कारी परिणाम देने में सक्षम है। ओर गहराई में जाएं तो आंखों की रोशनी, हड्डियों की मजबूती, कब्ज नाशक माना गया है। ये ही नहीं इसको नियमित रूप से उपयोग में लेने वाला व्यक्ति, तनाव,डिफरेशन ,अनिद्रा से मुक्त होकर शांत और सुकून में रहता है।
टोंक जिले में फल एवं औषधीय खेती की विपुल संभावनाएं हैं
चीकू की फसल औषधीय होने के साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है। चीकू कु उन्नत किस्मे काली पत्ती, क्रिकेट बॉल, डी एच, एस 1 और डी एच एस 2 सहित एक दर्जन किस्मे होती है। जिसमे काली पत्ती ओर क्रिकेट जैसी अच्छी किस्मों को यहां उगाया गया है।
चीकू शीतल, पित्तनाशक, मीठा और रुचिकर होता है। इसमें शर्करा का अंश ज्यादा होता है। भोजन के बाद इसका उपयोग अधिक लाभकारी होता है। इसका शेक भी बेहद गुणकारी होता है। इसकी 100 ग्राम मात्रा में 83 किलो कैलोरी ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट 20 ग्राम ,5.3 ग्राम रेशों के साथ, ग्लूकोज, वसा, प्रोटीन और विटामिन्स की मौजूदगी इसकी बहु उपयोगिता साबित करती है।इसमें केल्सियम, लोह, मैग्नीशियम, पोटेशियम,कॉपर सोडियम और जस्ते जैसे आवश्यक पोषक तत्व, मिनिरल्स हमारे स्वास्थ्य के लाभदायक होते हैं।
इनका कहना है
चार वर्षों के अनुसंधान व अनुभव के आधार पर टोंक में इसकी फसल के प्रसार की संभावनाएं बढ़ी है। चार वर्ष पूर्व कई दर्जन रोपे ये चीकू अब पूरी तरह परिपक्वता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इस बार इसमें जबर्दस्त फलोत्पादन हो रहा है। एक पौधे के 80 से 200 kg फल आ रहे हैं। क्वॉलिटी ओर क्वांटिटी भी लाज़वाब है। इंटर क्रोपिंग पद्धति से किसान इन पौधों के बीच अन्य मौसम आधारित फसलें भी ले सकता है। टोंक जिले में चीकू की खेती वरदान साबित होगी।
जिले से सटे सवाई माधोपुर और बूंदी में भी चीकू फसल के बारे में किसानों में रुचि जागृत हो रही है
पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी