Tonk / जिला कलक्टर ने सामाजिक सरोकार के लिए लिखी आमजन को पाती

liyaquat Ali
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File Photo-Tonk District Collector K .K Sharma

Tonk News : राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशानुरूप  जिला कलेक्टर के.के.शर्मा टोंक जिले में संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की परिकल्पना को साकार कर रहे है। इसके साथ-साथ वे सामाजिक सरोकारों को पूरा करने के लिए जिले के लोगांे के साथ संवाद स्थापित कर उनका सहयोग भी मांग रहे है। जिला कलेक्टर ने अपनी दिल की बात साझा करने के लिए अपने हाथों से लिखी पाती को माध्यम बनाया है।

जिला कलेक्टर अपनी पाती में लिखते है कि आज पर्यावरण प्रदूषण एक गम्भीर चिन्ता बन चुका है जिससे प्रत्येक जीव जन्तु अछूता नहीं है फिर चाहे गांव हो या शहर,मनुष्य हो या पशु और तो और हमारी धरती मां, नदी, पहाड, सागर सभी इससे त्रस्त है। मैं बात कर रहा हूं पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक की जो सैकडों सालों तक नष्ट नहीं होता जिसे न तो आग में जलाकर नष्ट कर सकते, न जमीन में गाड़ कर सदा के लिए अस्तित्व मिटा सकते और न ही बहते पानी के साथ बहाकर सदा के लिए छुटकारा पा सकते है। यह एक ऐसा जिन्न है जिससे छुटकारा पाने का कोई इलाज ही नहीं है।

आज हम सबके जीवन में इसने तेजी से पंाव पसार लिए हैं, एक तरह से हम इसके आदी हो चुके है, नतीजा सामने है। प्रतिवर्ष अनेकों लोग इसके इस्तेमाल से गम्भीर रोगों की चपेट में आ रहे हैं, पशु पक्षी काल के ग्रास हो रहे है,धरती बंजर हो रही है, शहरों के पानी के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होने से अनेकों शहर जल मग्न हो रहे है, भू जल स्तर गिरने से पेयजल समस्या गहराती जा रही है। प्लास्टिक ने न केवल मानव अपितु पर्यावरण की सेहत के साथ भी खिलवाड किया है। अगर यही सब चलता रहा, प्लास्टिक पर रोक न लगाई जाये ंतो हम सीधे तौर पर अपनी भावी पीढ़ी को जहर परोस रहे है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

तो आइए, देरी किस बात की दूसरों का इन्तजार किए बगैर स्वयं आगे आकर प्लास्टिक/पॉलिथीन का बहिष्कार करने का वक्त आ चुका है। यह पहल और नही ंहम स्वयं करेंगे। इस पत्र के माध्यम से आपका आव्हान करते हुए मुझे पूरी उम्मीद है कि प्लास्टिक/पॉलिथीन को अपने और अपनों के जीवन से सदा के लिए दूर कर लेंगे।

हां, इस पाती के माध्यम से कुछ और कहना चाहता हूं। आप जानते ही हैं कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय बन चुके है, कहते हुए अफसोस भी हो रहा है कि शौचालय बनने के बाद भी कुछ लोग उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे है। शौचालय का इस्तेमाल करना न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से नुकसान देह ही नहीं है अपितु खुले में शौच करने के कई नुकसान है। सोचिए खुले में शौच करने जाने से बहिन बेटियों, बच्चों, बुजुर्गों को कितनी मानसिक व शारीरिक पीडा होती होगी, शायद इसका अन्दाजा भी नहीं लगा सकते, तो आइये इस बात का भी संकल्प लें कि घर में निर्मित शौचालय का इस्तेमाल करें।

अरे हां। एक बात और कहना चाहता हूं, हमारे देश में पौराणिक काल से ही नारी को विशेष दर्जा दिया गया है लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी जब मां-बहिनों को घूंघट में देखता हूं, तो सोचने लगता हूं कि आखिर हमारी मां-बहिनों ने ऐसा क्या किया जो घूंघट में रहने को मजबूर होना पड रहा है, आइये हम सभी संकल्प लें कि महिलायें घूंघट से बाहर आकर अपनी एक नई पहचान बनायें।

मुझे उम्मीद है कि पहली पाती के माध्यम से जिन तीन महत्वपूर्ण मुद्दों (सिंगल यूज प्लास्टिक/पॉलिथीन को तौबा,खुले में शौच न करने का संकल्प एवं महिलाओं को घूंघट त्यागने क लिए प्रेरित करना) पर आपसे सहयोग मांगा गया है। इन सब पर अमल करने से आने वाले दिनों में हमारा अपना जिला एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा और हमें अपने गांव, शहर, जिले पर गर्व होगा।

अभिभावकों,छात्र-छात्राओं को भेजी पाती:- जिला कलेक्टर के.के.शर्मा ने जिले के सभी विद्यालयों के कक्षा 8 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों तक यह पाती पहुंचाई है। साथ ही मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूलों में प्रार्थना सभा में इसका वाचन कराए जाने के निर्देश दिए है। ताकि अधिक से अधिक बच्चों में पॉलिथीन/सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग ना करके पर्यावरण संरक्षण,स्वच्छ भारत मिशन एवं महिलाओं में घूघंट से मुक्ति जैसे मुद्दों व मूल्यों को लेकर जागृति उत्पन्न की जा सके।

 

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