टोंक (फ़िरोज़ उस्मानी)। टोंक में शुद्ध के लिए युद्ध खानापूर्ति बन कर रह गया है, कार्रवाई के नाम पर आमजन को बेवकूफ़ बनाया जा रहा है। संबंधित विभाग द्वारा जहां छापा मारा जाता है, वहां से मिलावटखोर को फरार करवा दिया जाता है। अब तक ज़िलें मे कोई महत्त्वपूर्ण कार्रवाई अमल में नही लाई गई है।
राज्य सरकार आमजन के स्वास्थ्य के प्रति पूरी सवेंदनशील है, मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की शुरुआत की थी, लेकिन इसके बाद भी टोंक ज़िलें में धड़ल्ले से खादय पदार्थों में मिलावट की जा रही है, राज्य के कई जिलों से मिलावटी मावा मंगाया जाता है।
उसके बावजूद भी टोंक ज़िला चिकित्सा विभाग व खाद्य सुरक्षा विभाग कोई बड़ी कार्रवाई नही कर सका है, सेम्पल लेने के नाम पर खानापूर्ति की जाती है, केवल त्योहार पर ही संबंधित विभाग की टीम सेम्पल लेती है, जिसकी रिपोर्ट त्योहार निकल जाने के बाद आती है, जब तक सेम्पल की पुष्टि होती है तब तक मिलावटखोर मिलावटी मिठाईयां बेच चुके होते है।
पुराने मिलावटखोरों पर कार्रवाई होने के बाद भी खुलेआम वो अपने मिलावटी मिठाईयां बेच रहे है। आमजन की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
सूत्रों की माने तो ज़िलें के सभी प्रतिष्ठानों पर खाद्य सुरक्षा विभाग की खास मेहरबानी है, दोनों ही और से एक दूसरे का ध्यान रखा जाता है। मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार को संबंधित विभागों के अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने की ज़रूरत है।
टोंक में काफी लंबे समय से रसद विभाग अधिकारी व कर्मचारी जमे हुए है, नए अधिकारियों को नही लगाया जाता है, जिसके चलते कार्रवाई में पारदर्शिता नही आ रही है।