भीलवाड़ा में कल 424 साल पुरानी परंपरा पर निकलेगी जिंदा इंसान की शव यात्रा

Dr. CHETAN THATHERA
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File Photo

भीलवाड़ा/ भीलवाड़ा शहर में मेवाड़ शासन से ही चली आ रही 424 साल पुरानी परंपरा के तहत कल शीतला सप्तमी का त्यौहार रंगों की बौछार और के साथ मनाया जाएगा और जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा जुलूस के रूप में निकाली जाएगी जिसमें शहर भर के लोग शामिल होंगे वही आज शीतला सप्तमी को लेकर बासेडा मनाया गया । 

तत्कालीन महाराणा मेवाड़ ने विक्रम संवत 1655 में भीलवाड़ा की जागीरी/ पट्टा ठिकाणा भीलवाड़ा भोमियों का रावला के ठाकुर साहब को प्रदान किया था । इस प्रकार से 424 वर्ष से लगातार भीलवाड़ा में शीतला सप्तमी/ अष्टमी को एक अद्भुत परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है ।

इस परंपरा के तहत शीतला सप्तमी की पूर्व संध्या पर आज मगंलवार को सर्राफा बाजार में दो स्थानों पर तथा बड़े मंदिर के पीछे बाहले में भैरवनाथ जी की स्थापना की जाएगी है और आज शाम होते ही पुराने भीलवाड़ा के पंच पटेलो द्वारा भैरवनाथ जी के स्थानों पर धूप अगरबत्ती किया जाता है तथा ढोल झालर बजा कर तथा गीत गाकर रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है ।

भैरवनाथ का भाव भी आता है । वर्तमान में भोपा जी का पाट अंतर्राष्ट्रीय कलाकार जानकीलाल भांड तथा लालचंद भरावा द्वारा निर्वहन किया जा रहा है । शीतला अप्तमी को प्रातः बड़े मंदिर पर भीलवाड़ा गांव की पंचायती हताई पर पंच पटेल इकट्ठे होते हैं और फिर सभी लोग एकत्रित होकर ढोल नगाड़े के साथ झंडा लेकर बड़े मंदिर से निकलते हुए चित्तौड़ वालों की हवेली के यहां पहुंचते हैं तथा यहां पर लगभग एक घंटे तक होली खेली जाती है ।

यहीं पर एक व्यक्ति को मुर्दा बनाकर अंतिम यात्रा की शैय्या पर लेटाकर ऊंट , ढोल नगाड़ों के साथ अंतिम यात्रा प्रारंभ होती है जिसे स्थानीय भाषा मे (डोल )भी कहते हैं जो कि जूलूस के रुप में भीलवाड़ा के मेन मार्केट , बाजारों से रेलवे स्टेशन , पुलिस कंट्रोल रूम, सदर बाजार, गोल प्याऊ चौराया , महाराणा टॉकीज , हिंदू महासभा कार्यालय , सर्राफा बाजार होते हुए बड़े मंदिर पहुंचती है।

यहां पर बचला बसा की प्रक्रिया सम्पन्न करने के पश्चात बाहले में अंतिम संस्कार किया जाता है । अंतिम यात्रा में सभी लोग हंसी ठिठोली करते हुए आते हैं एवं मरने वाले पर विलाप करते हैं तथा रोते हैं । इस परंपरा को संपूर्ण भीलवाड़ा इस पूरे घटनाक्रम को बड़े उत्साह के साथ देखता है एवं संपन्न करवाता है ।‌

उपरोक्त परंपरा का भीलवाड़ा के ठाकुर गोविंद सिंह, ठा.सा. श्री घनश्याम सिंह ,ठा.सा. चन्द्रभान सिंह तथा लादूलाल कसारा, शिव लाहोटी, तुलसीराम लोहार, लादूलाल भांड , यशोवर्धन सेन, पूनमचंद जैन, कैलाश जीनगर ,

जगदीश लाहोटी ,अरुण चोटिया, अंकुश जायसवाल किरण सालवी चुनीलाल कसारा , पप्पू पाटोदिया,भानू बैरवा, भेरूलाल सेन, दिनेश सालवी आदि पुराने भीलवाड़ा के पंच पटेल शामिल होते है ।

इस कार्यक्रम को देखने के लिए भीलवाड़ा शहर के अतिरिक्त संपूर्ण भीलवाड़ा जिला एवं आसपास के अन्यत्र जिलों के लोग भी एकत्रित होते हैं । पूरा भीलवाड़ा शहर इस दिन इस कार्यक्रम से रंग-गुलाल से ओतप्रोत एवं सरोबार हो जाता है ।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम