12 जुलाई 2020 का दिन, जब पायलट की बगावत से अल्पमत में आ गई थी गहलोत सरकार

Sameer Ur Rehman
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जयपुर। राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला देने वाले सियासी संकट को आज पूरे 2 साल हो गए हैं। आज ही के दिन 12 जुलाई 2020 को सचिन पायलट कैंप ने बगावत करके गहलोत सरकार को संकट में डाल दिया था। सरकार 35 दिनों तक बाड़ेबंदी में रही और उसके बाद विधानसभा में बहुमत भी साबित किया। कांग्रेस आलाकमान ने दोनों खेमों के बीच दूरियां कम करने की कोशिश भी की लेकिन आज भी गहलोत और पायलट कैंप के बीच जुबानी जंग जारी है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि पूरे 2 साल के बाद भी सचिन पायलट को सत्ता और संगठन में बड़ी भूमिका का इंतजार है। सरकार पर सियासी संकट को भले ही 2 साल का समय बीत गया हो लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मन में आज भी उसकी टीस बाकी है।

आज ही के दिन सचिन पायलट कैंप ने 30 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए गहलोत सरकार के अल्पमत में होने की बात कही थी, जिसके बाद 13 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई थी लेकिन पायलट समर्थक विधायक बैठक में नहीं पहुंचे और उसके बाद तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों को लेकर दिल्ली रोड स्थित एक होटल में चले गए थे।

दर्ज हुए हुए मुकदमे

इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से आज ही के दिन बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ राजद्रोह सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे। यही नहीं, इन विधायकों के घरों पर भी नोटिस चस्पा किए गए थे। विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने सरकार गिराने की साजिशों को लेकर एसओजी में भी मुकदमे दर्ज करवाए।

पायलट सहित तीन मंत्रियों को किया गया था बर्खास्त

14 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तमाम विधायक कूकस स्थित एक लग्जरी होटल में रुके हुए थे और यहीं पर आलाकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन सहित कई अन्य नेताओं ने फिर से होटल में ही विधायक दल की बैठक बुलाई थी और दावा किया था कि पायलट कैंप के लोग बैठक में शामिल होंगे लेकिन तब भी सचिन पायलट से जुड़े विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए। उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,पर्यवेक्षक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आलाकमान से बात की और सचिन पायलट सहित तीन मंत्रियों को बर्खास्त करने का फैसला लिया गया।

होटल से बाहर आकर रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सचिन पायलट को पीसीसी अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त करने की घोषणा की। साथ ही रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को भी कैबिनेट से बर्खास्त किया गया। इसके अलावा सचिन पायलट के समर्थक विधायक मुकेश भाकर को यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया गया और राकेश पारीक को सेवादल के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया गया।

अभिमन्यू पुनिया को एनएसयूआई के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया गया।

वहीं जहां सचिन पायलट को पीसीसी अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने की घोषणा के साथ ही कांग्रेस पर्यवेक्षक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आलाकमान के निर्देश पर तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की। साथ ही युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर गहलोत समर्थक विधायक गणेश घोगरा को नियुक्त किया गया। सेवादल के अध्यक्ष पद पर हेम सिंह शेखावत और एनएसयूआई के अध्यक्ष पद पर अभिषेक चौधरी को नियुक्त किया गया।

इसी दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पहली बार उग्र रूप भी दिखाई दिया था। जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया के सामने सचिन पायलट को निकम्मा और नाकारा करार दिया था मुख्यमंत्री के इस बयान की देश भर में चर्चा हुई थी और आज भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार निकम्मा शब्द को दोहरा चुके हैं।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/